गरीबी के खिलाफ एक संयुक्त लड़ाई का आह्वान कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पाकिस्तान को और एक अवसर देने की बात रेखांकित करते हुए जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बुधवार (28 सितंबर) को पड़ोसी देश को यह बात समझने को कहा कि ऐसे मौके रोज-रोज नहीं आते। महबूबा ने बुधवार रात यहां एक सभा में कहा, ‘गरीबी के खिलाफ युद्ध के लिए पाकिस्तान और उसके लोगों से मोदीजी के आह्वान का उनके पास कोई जवाब नहीं है। पाकिस्तान, वहां के लोगों और नेताओं को इसका अर्थ समझना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘इस टिप्पणी का कोई जवाब नहीं है, पठानकोट के बावजूद मोदीजी शांति के लिए लाहौर गए, लेकिन उरी हुआ।’ महबूबा ने कहा कि पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि मोदी ने उन्हें दोस्ताना रिश्तों, शांति और क्षेत्र में सामान्य हालात बहाल करने के लिए और एक मौका दिया है।

पाकिस्तान में दक्षेस सम्मेलन में शामिल नहीं होने का प्रधानमंत्री निर्णय सही

जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पाकिस्तान में दक्षेस शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होने के प्रधानमंत्री के निर्णय को यह कहते हुए बुधवार (28 सितंबर) को सही ठहराया कि मौजूदा परिस्थितियों में वह वहां की यात्रा नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, ‘दक्षेस सम्मेलन पाकिस्तान में होना था और मुझे उम्मीद थी कि हमारे प्रधानमंत्री को वहां जाने का मौका मिलेगा, लेकिन वह कैसे जाएंगे? वह किन परिस्थितियों में वहां जाएंगे।’ भारत के साथ ही बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी 8 देशों के इस दक्षेस शिखर सम्मेलन में नहीं शामिल होने का निर्णय किया है।

महबूबा ने कहा, ‘प्रधानमंत्री (पिछले साल दिसंबर में) एक गैर-निमंत्रित मेहमान के तौर पर पाकिस्तान गए। उन्हें वहां जाने की जरूरत क्यों पड़ी। वे हमारे लिए (जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए) वहां गए थे। उन्हें लगा कि जब तक दोनों देश एक साथ नहीं रहेंगे, जम्मू कश्मीर के लोग मुसीबत झेलते रहेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘उन्होंने एक कदम आगे बढ़ाया, लेकिन दुर्भाग्य से पठानकोट में हमला कर दिया गया। लेकिन इसके तुरंत बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का बयान आया और उन्होंने किसी पर इल्जाम नहीं लगाया जो अच्छी बात थी। इसके बजाय पाकिस्तान से एक टीम आई और उन्हें सबूत दिखाए गए। पाकिस्तान ने केवल एक व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, लेकिन दुर्भाग्य से इसके बाद कुछ नहीं हुआ।’