पिछले हफ्ते झड़पों में जख्मी हुए एक और युवक की शुक्रवार (16 सितंबर) मौत हो गई और इसी के साथ आठ जुलाई से अशांत कश्मीर घाटी में मरने वालों की संख्या 80 हो गई है। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में पांच सितंबर को हुए संघर्ष में बासित मुख्तार आंसू गैस के गोले से जख्मी हो गया था। उसकी यहां एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। इसी के साथ दक्षिण कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिजबुल के आतंकवादी बुरहान वानी को मार गिराने के बाद शुरू हुए हिंसक संघर्षों में मरने वालों की संख्या 80 हो गई है।
जुमे की नमाज के बाद हिंसा की आशंका को लेकर गर्मियों की राजधानी श्रीनगर सहित कश्मीर के कई हिस्सों में शुक्रवार को फिर से कर्फ्यू लगा दिया गया। घाटी में जनजीवन ठप्प है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, ‘श्रीनगर शहर और बारामूला, पट्टन, अनतंनाग, शोपियां और पुलवामा नगरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है।’ अधिकारी ने कहा कि कानून-व्यवस्था बरकरार रखने के लिए पाबंदियां लागू की गईं हैं क्योंकि घाटी में जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शन और संघर्ष हुए हैं। अधिकारी ने कहा कि लोगों के इकट्ठा होने पर रोक जारी रहेगी।
इस बीच पाबंदियों और अलगाववादियों द्वारा प्रायोजित हड़ताल की वजह से कश्मीर में लगातार 70 दिन से जनजीवन पंगु बना हुआ है। अलगाववादियों ने अपनी हड़ताल की मीयाद 22 सितंबर तक बढ़ा दी है। उन्होंने शाम में भी हड़ताल से किसी तरह की राहत का ऐलान नहीं किया है। दुकानें, कारोबारी प्रतिष्ठान और पेट्रोल पंप बंद हैं जबकि सार्वजनिक परिवहन सड़कों से नदारद है। असैनिकों की मौत के विरोध में अलगाववादियों की हड़ताल की वजह से स्कूल कॉलेज और अन्य शैक्षिक संस्थान भी बंद है।