कश्मीर में ‘स्थिति’ को गंभीर बताते हुए वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने रविवार (21 अगस्त) को कहा कि हिंसा में संलिप्त लोगों से कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने पथराव करने वालों को ‘सत्याग्रही नहीं बल्कि आक्रमणकारी’ बताया जो पुलिस और सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं। वर्तमान अशांति के लिए पाकिस्तान की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि युद्ध के माध्यम से राज्य को छीनने में विफल रहने के बाद वह ‘नए तरीके से भारत की अखंडता पर हमला कर रहा है’ और 1947 में बंटवारे के बाद से ही समस्या उत्पन्न कर रहा है। उन्होंने इस मंशा को भी परास्त करने का संकल्प जताया। कश्मीर में जारी अशांति के बीच वित्त मंत्री जेटली ने मोदी सरकार की प्राथमिकताएं गिनाते हुए कहा कि हिंसा में संलिप्त लोगों से कोई समझौता नहीं होगा और साथ ही राज्य के विकास के लिए प्रयास किया जाएगा जो पिछले 60 वर्षों में नहीं हुआ है।
जम्मू शहर के बाहरी इलाके में एक रैली को संबोधित करते हुए जेटली ने कश्मीर में 44 दिनों से चल रही अशांति के बारे में बात करते हुए कहा, ‘अब इस समय एक गंभीर स्थिति उभरी है जिसमें पाकिस्तान, अलगाववादी और धार्मिक ताकतों ने हाथ मिलाया है और अब नए तरीके से वे भारत की अखंडता पर हमला कर रहे हैं।’ पथराव करने वालों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘वे सत्याग्रही नहीं हैं बल्कि आक्रमणकारी हैं। अगर किसी पुलिस चौकी में दस पुलिसकर्मी हैं और उस पर पथराव करने वाले दो हजार लोग हमला करते हैं तो यह हमला है लेकिन कुछ लोग इसे महसूस नहीं कर पाते।’
जेटली ने इस स्थिति को ‘बड़ी चुनौती’ बताते हुए कहा, ‘आज इस स्थिति में जरूरत इस बात की है कि हम राष्ट्र की एकता और अखंडता से समझौता नहीं करें।’ उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों से कहा कि ‘अलगाववादियों के खिलाफ संघर्ष’ में वह देश के साथ खड़े हों ताकि ‘पाकिस्तानी युद्ध के इस नए चरण को इस बार भी परास्त किया जा सके।’ वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तीन प्राथमिकताएं हैं। इन प्राथमिकताओं को गिनाते हुए उन्होंने कहा, ‘देश की सुरक्षा और अखंडता से समझौता नहीं होगा और हिंसा में शामिल लोगों से समझौता नहीं होगा।’
उन्होंने कहा, ‘दूसरी बात कि जम्मू-कश्मीर हिंसा और युद्ध का सामना कर चुका है अत: यहां विकास की जरूरत है जो पिछले 60 वर्षों से नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस की सरकारों ने नहीं होने दिया। तीसरी बात कि जम्मू भाजपा का गढ़ है जिस पर ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है।’ उनकी प्राथमिकताएं इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि विपक्ष मोदी सरकार पर अशांति से निपटने में कोई नीति नहीं अपनाने का आरोप लगा रहा है। विपक्षी दल अशांति का समाधान करने के लिए राजनीतिक समाधान खोजने और वार्ता करने का दबाव बना रहे हैं।