जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य की विधानसभा भंग कर दी है। राज्यपाल के इस एक्शन से कुछ समय पहले ही पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने का दावा पेश किया था। अब इस मामले पर सत्यपाल मलिक का बयान आया है। राज्यपाल मलिक ने कहा है कि, ‘संवैधानिक पद पर बैठने के बाद से ही मैं किसी भी ऐसी सरकार के फेवर में नहीं हूं, जो जोड़ तोड़ से बनाई गई हो। इसके बजाए चाहता हूं कि चुनाव हो और चुनी हुई सरकार राज्य चलाए।’

राज्यपाल मलिक ने देर रात तत्काल प्रभाव से विधानसभा भंग कर दी थी। इसके पीछे मलिक ने चार मुख्य वजहें बताई थीं। इसमें बड़े स्तर पर खरीद फरोख्त का शक, अगल विचारधारा वाली राजनीतिक पार्टियों के साथ आने के बावजूद स्थिर सरकार बनाना मुश्किल जैसे कारण दिए गए थे। इस फैसले के बाद मलिक पर पक्षपात के आरोप भी लगे।

इस पर सफाई देते हुए राज्यापाल ने कहा, उन्होंने कहा, बीते करीब दो हफ्ते से मुझे होर्स ट्रेडिंग और विधायकों को डराए-धमकाए जाने की शिकायतें आ रही थीं। दूसरे पक्ष ने कहा कि बहुत बड़े पैमाने पर रुपए बांटने की तैयारी है। यह सब पता होने के बाद मैं किसी को सरकार बनाने का मौका नहीं दे सकता था। राज्यपाल मलिक ने कहा, यह वो फोर्सेस हैं जो जमीनी स्तर पर राजनीति बिलकुल नहीं चाहतीं। अपने हाथ से चीजें निकलता देख एक अपवित्र गठबंधन करने मेरे पास आ गए। मैं किसी के साथ भेदभाव नहीं कर रहा। जम्मू कश्मीर की जनता के हित का फैसला लिया है।

गौरतलब है कि, भाजपा द्वारा समर्थन वापस लिये जाने के बाद जम्मू कश्मीर में पीडीपी-भाजपा गठबंधन टूट गया था जिसके बाद 19 जून को राज्य में छह महीने के लिए राज्यपाल शासन लगा दिया गया था। राज्य विधानसभा को भी निलंबित रखा गया था।