जम्मू-कश्मीर में साल 2017 में जितने आतंकी मारे गए हैं, वे साल 2015 और 2016 से दोगुने हैं। साल 2017 में केवल 53 दिनों में सुरक्षा बलों ने 23 आतंकियों को ढेर कर दिया है। वहीं साल 2016 और 2015 में इसी अवधि में केवल 10 आतंकियों को मारा गया था। जम्मू-कश्मीर से एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने बताया, ‘इस साल भारी बर्फबारी के बाद घाटी में ऊंची चोटियों से जनसंख्या वाले क्षेत्रों में पलायन की वजह से ढेर किए गए आतंकियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। हमने गांवों में आतंकियों के खिलाफ खुफिया जानकारी आधारित ऑपरेशन किए हैं।’ मारे गए आतंकियों का यह आंकड़ा वर्ष 2010 के बाद सबसे ज्यादा है।

अधिकारी ने साथ ही बताया कि भारी बर्फबारी की वजह से इस साल एलओसी पर आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश भी नहीं की। जम्मू कश्मीर स्टेट मल्टी एजेंसी सेंटर के आकंड़ों के मुताबिक पिछले साल से 90 स्थानीय युवकों ने आतंकी संगठन ज्वाइन किए हैं। इसके दो तिहाई युवा दक्षिण कश्मीर में आतंकी संगठनों के साथ जुड़े हैं। सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक अंदाजा लगाया गया है कि दक्षिण कश्मीर में अभी 400 आतंकी हैं। इनमें से 150 विदेशी हैं और 250 स्थानीय हैं। इसके अलावा राज्य के पीर पंजाल के दक्षिण में 100 अन्य आतंकी और सक्रिय हैं। इनमें 30 विदेशी आतंकी शामिल हैं।

बता दें, सेना प्रमुख बिपिन रावत ने पिछले सप्ताह बयान दिया था कि आतंकियों के खिलाफ सेना के ऑपरेशन में बाधा डालने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही कहा था कि उन्हें राष्ट्र विरोधी समझा जाएगा और उनसे वैसे ही पेश आया जाएगा। सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि साल 2016 से करीब एक दर्जन ऐसी घटनाएं हुई हैं, जहां स्थानीय लोगों की दखल से आतंकी भागने में कामयाब रहे।

बता दें, सेना ने साल 2017 के पहले दो महीनों में जम्मू कश्मीर में ड्यूटी पर तैनात अपने 26 सैनिकों को खो दिया। सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक सेना के एक अधिकारी सहित 20 कर्मियों की घाटी में हुए हिमस्खलन में जान चली गई, जबकि समूचे राज्य में आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान छह सैनिक शहीद हुए। सुरक्षा बलों को हुई हानि में एक मेजर स्तर का अधिकारी भी था जिसने 14 फरवरी को कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा इलाके में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए अपने प्राणों की आहूति दे दी। बांदीपुरा जिले के हाजिन इलाके में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में तीन सैनिकों की मौत हुई।