जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सेना पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना कश्मीरी युवकों के गले में जबरदस्ती बंदूक डाल फोटो खिंचवाने के लिए दबाव डालती है। पीडीपी प्रमुख के इस बयान पर प्रदेश के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। एएनआई के अनुसार, सत्यपाल मलिक ने कहा, “चुनाव का वक्त है। उनकी पार्टी टूट रही है। उनकी हालत खराब है। वो इसी किस्म के सपोर्ट से ताकत में आयी थी। उनकी बातों को प्रमुखता से लेने की जरूरत नहीं है। हमारे सुरक्षा बलों का किसी महबूबा मुफ्ती जी के बयान से मनोबल नहीं गिरने दिया जाएगा।”

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी महबूबा मुफ्ती के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। जितेंद्र सिंह ने कहा, ” इन नेताओं को एक आतंकवादी को मुठभेड़ में मारे जाने पर अपनी सहानुभूति व्यक्त करने की जल्दी है। लेकिन ड्यूटी पर तैनात एक सुरक्षाकर्मी के प्रति सहानुभूति के लिए एक शब्द नहीं मिलता है। अब कश्मीर के लोग इस दोहरे चरित्र को देखने लगे हैं। यहां चुनाव होने वाले हैं, इसलिए वे विशेष क्षेत्र के लोगों को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस बार यह तरीका काम नहीं करेगा। पिछले चुनाव का तरीका इस बार चलने वाला नहीं है।”

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कश्मीरी युवक तौसीब से बातचीत के बाद महबूबा ने दावा किया, “मेजर रोहित शुक्ला के आदेश के बाद तौसीब को सेना के कैंप में ले जाया गया। यहां उसकी पिटाई की गई। गले में बंदूक डाल फोटो खिंचवाने को बाध्य किया गया। ऐसा नहीं करने पर एनकाउंटर करने की धमकी दी गई।” अपने दावे के बाद महबूबा ने सेना पर सवाल उठाते हुए कहा, “ये कैसा सिपाही जो अपने ही लोगों पर जुल्म ढ़ाते हैं? इसे कतई बहादुरी नहीं कह सकते। इस मामले में जवाबदेही तय की जानी चाहिए।” वहीं, महबूबा के इस बयान पर सेना ने पलटवार करते हुए कहा कि चुनाव नजदीक होने की वजह से यह बयान दिया गया है ताकि सेना पर दबाव बनाया जा सके। सेना कभी आम लोगों को परेशान नहीं करती है।