पूर्वी लद्दाख में उमलिंगला दर्रे पर सीमा सड़क संगठन द्वारा सड़क का निर्माण पूरा करने के बाद दुनिया की सबसे ऊंची सड़क का ताज अब भारत के पास है। सीमा सड़क संगठन ने 19,300 फीट की ऊंचाई पर सड़क निर्माण कर बड़ी कामयाबी हासिल की है। उमलिंगला दर्रे के माध्यम से 52 किमी लंबी टरमैक मार्ग ने बोलीविया की सड़क के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है, जो 18,953 फीट पर उटुरुंकु ज्वालामुखी से जुड़ता है।

पूर्वी लद्दाख के चुमार सेक्टर के सभी महत्वपूर्ण शहर इस सड़क से जुड़ जाएंगे, जो स्थानीय आबादी के लिए वरदान है। यह रोड स्थानीय निवासियों को लेह से डेमचोक और चिसुमले के लिए एक वैकल्पिक सीधा मार्ग प्रदान करेगा। साथ ही क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को भी बेहतर बनाएगा और लद्दाख में पर्यटन को बढ़ावा देगा। इसका नाम उमलिंगला दर्रा है। यह नेपाल स्थित साउथ माउंट एवरेस्ट बेस कैंप की ऊंचाई 17,598 और तिब्बत में नॉर्थ बेस कैंप की ऊंचाई 16,900 फीट से भी अधिक ऊंचाई पर है।

इस सड़क ने रूस में स्थित यूरोप की सबसे ऊंची सड़क को भी छोटी कर दी है। उसकी ऊंचाई 13,267 फीट है। माउंट एल्ब्रस से होकर निकलने वाली इस सड़क पर हर वक्त धूल रहती है, जहां केवल विशेष रूप से तैयार वाहन ही ड्राइव कर सकते हैं। स्पेन की वेलेटा पीक भी महाद्वीप की सबसे ऊंची पक्की सड़कों में से एक है। हालांकि वह भी 11,135 फीट पर और नए उमलिंगला दर्रे से काफी नीचे है। दक्षिण अमेरिका में कई उच्च ऊंचाई वाली सड़कें भी हैं।

सरकार ने कहा है कि उमलिंगला दर्रा पर सड़क बनाना बेहद चुनौतीपूर्ण काम था। ऐसे कठिन क्षेत्र, जहां सर्दियों में तापमान -40 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है और ऑक्सीजन का स्तर सामान्य स्थानों की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत कम होता है, वहां बुनियादी ढांचे का विकास कार्य करना अत्यंत मुश्किल भरा काम है।

सरकार ने बार्डर रोड आर्गनाइजेशन को इस कठिन और चुनौतीपूर्ण काम को पूरा करने पर बधाई देते हुए इसके सभी सदस्यों, कर्मियों और इससे जुड़े लोगों की मेहनत की सराहना की है।