कश्मीर घाटी के पहले आईएएस टॉपर शाह फैसल और जेएनयू की छात्र नेता शेहला राशिद के सक्रिय राजनीति में आने की अटकलें तेज हो गई हैं। दोनों के जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस में शामिल होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त के ट्वीट से इस अटकल को और हवा मिली है। उन्होंने लिखा, ‘कहा जा रहा है कि शाह फैसल और शेहला राशिद कश्मीर से अगला चुनाव लड़ सकते हैं। दोनों औपचारिक तौर पर उमर अब्दुल्ला और नेशनल कांफ्रेंस को ज्वाइन करने के बाद चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। मेरी व्यक्तिगत राय में जम्मू-कश्मीर में जितनी ज्यादा संख्या में नए और युवा चेहरे राजनीति में आएंगे वह उतना ही अच्छा रहेगा। फिर चाहे वह किसी भी पार्टी में शामिल क्यों न हों।’ मालूम हो कि आईएएस अधिकारी शाह फैसल फिलहाल विदेश में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उन्होंने रेप को लेकर हाल में ही बयान दिया था। केंद्र सरकार उनके रवैये पर सख्त रुख अपनाते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की है। कार्मिक विभाग ने उन्हें इस बारे में सूचित भी कर दिया है। साथ ही जम्मू-कश्मीर सरकार को कार्रवाई से जुड़ी रिपोर्ट भी भेजने का निर्देश दिया है। केंद्र ने शाह फैसल के रुख के सर्विस रूल्स के खिलाफ माना था। दूसरी तरफ, शेहला राशिद जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। यूनिवर्सिटी कैंपस में हाल में हुए प्रदर्शन में उन्होंने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। शेहला खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना को लेकर सुर्खियों में रहती हैं। बता दें कि चुनाव लड़ने के लिए शाह फैसल को पहले अपने पद से इस्तीफा देना होगा।

जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-बीजेपी की सरकार गिरने के बाद राज्यपाल शासन लागू है। वहीं, अगले साल लोकसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में राज्य के सभी प्रमुख दल चुनावी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। हालांकि, घाटी में लगातार हो रही हिंसा के कारण राजनीतिक और लोकतांत्रिक गतिविधियां लगभग ठप हैं। कुछ दिनों पहले ही उमर अब्दुल्ला ने पंचायत चुनावों को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि घाटी की स्थितियां फिलहाल चुनाव के लिएअनुकूल नहीं हैं। ऐसे में शाह फैसल और शेहला राशिद के नेशनल कांफ्रेंस में शामिल होने और चुनाव लड़ने की अटकलें सामने आने लगी हैं। जम्मू क्षेत्र में बीजेपी की लगातार मजबूत हो रही है, ऐसे में राज्य की अन्य पार्टियां कश्मीर घाटी में अपनी पकड़ ढीली नहीं होने देना चाहती हैं। इन परिस्थितियों में स्थानीय और चर्चित चेहरों को पार्टी में स्थान देने का फायदा मिल सकता है।