बंदूक की गोलियों और बम धमाकों से हमेशा खौफ के साये में जीने वाले कश्मीरी बच्चों ने बोर्ड परीक्षाओं में शानदार प्रदर्शन किया है। आतंक से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में शुमार शोपियां के सोफी परिवार की बेटी इफ्रा शेराज ने जम्मू-कश्मीर प्रदेश बोर्ड परीक्षा में 99 फीसदी अंकों के साथ टॉप किया है। लेकिन कश्मीर घाटी की परिस्थितियों का असर इन बच्चों के जीवन पर साफ देखने को मिलता है।
‘परीक्षा के वक्त घर के बाहर गोलियां चल रही थीं’
लगातार हिंसा और डर के चलते इफ्रा अवसाद की स्थिति का सामना कर रही है। इफ्रा कहती हैं, ‘यहां हमेशा एनकाउंटर होते रहते हैं। जब मेरी परीक्षाएं चल रही थीं तब भी घर के पास ही गोलियां बरस रही थीं। उस दिन मैं परीक्षा की तैयारी भी नहीं कर पाई। जल्दी सोने के लिए मुझे दवाइयों का सहारा लेना पड़ा। इसी के चलते मैं अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन भी नहीं कर पाई।
साल में आधे से ज्यादा समय बंद रहता था स्कूल
हिंसा के चलते साल में लगभग आधे से ज्यादा समय तक पुलवामा स्थित उनका स्कूल बंद रहा। इन अशांत इलाकों के बच्चों ने तमाम चुनौतियों के बावजूद कश्मीर के दूसरे हिस्सों के बजाए परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन किया। इफ्रा के पिता शेराज अहमद कहते हैं कि हिंसा के चलते वह अपनी ट्यूशन भी नियमित रूप से नहीं जा पाती थी उसकी उपलब्धि सिर्फ उसकी मेहनत का ही परिणाम है।
मौत के बाद आई मार्कशीट ने परिजनों को रूलाया
कुलगाम के रहने वाले एक परिवार की आंखें उस वक्त एक बार फिर नम हो गई जब गोलियों का शिकार होकर जान गंवाने वाले उनके बेटे नौमान अशरफ की अंक सूची उनके हाथ लगी। 14 की उम्र में नौमान की हत्या के बाद उसकी सफलता ने परिजनों को फिर से रूला दिया। आतंकी हमले में मारे गए पत्रकार शुजात बुखारी के बेटे तमहीद ने 95 फीसदी अंक हासिल किए हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने तमहीद को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई दी।