दिल्ली के जाकिर नगर में आग लगने की घटना में घायल होने वालों में उमर रफीक का नाम भी शामिल है। इस घटना में उनकी पत्नी की मौत हो गई, उनके दोस्तों ने श्रीनगर में उनके परिवार को फोन या इंटरनेट के माध्यम से इसकी सूचना देने की पूरी कोशिश, लेकिन वे नाकाम रहे।
जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जे समाप्त करने के सरकार के कदम के मद्देनजर घाटी के कुछ हिस्सों में संचार लाइनें पिछले तीन दिनों से बंद हैं, जिसके कारण वे उनसे संपर्क नहीं कर सकें। परिवार को त्रासदी के बारे में सूचित करने और उन्हें राष्ट्रीय राजधानी लाने के लिए अंत में उनके एक और दोस्त मजीद खान को श्रीनगर जाना पड़ा।
दरअसल, जम्मू- कश्मीर से धारा 370 को हटाए जाने के चलते घाटी में मोबाइल और इंटरनेट सेवा बंद है। ऐसे में दिल्ली के हादसे के बाद पीड़ितों के परिजनों को खबर करने के लिए मजीद को श्रीनगर जाना पड़ा। बता दें कि पेशे से दर्जी 30 वर्षीय रफीक ने मंगलवार तड़के दक्षिणपूर्व दिल्ली क्षेत्र में एक चार मंजिला इमारत में लगी भीषण आग में अपनी पत्नी सोहा को खो दिया। आग से पांच और लोगों की मौत हो गई। इमारत की तीसरी मंजिल पर रहने वाले रफीक आग से बचने में सफल रहे। वह मामूली रूप से घायल हो गए, लेकिन उसकी पत्नी सोहा की मौत हो गई। उसके एक अन्य दोस्त खुर्शीद शाह ने कहा कि श्रीनगर के रहनेवाले रफीक और सोहा की शादी को आठ साल हो चुके थे। शाह ने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात के कारण हम श्रीनगर में उमर के परिवार से संपर्क नहीं कर सके। रफीक का एक दोस्त उसके परिवार को सूचित करने श्रीनगर गया।’’
गौरतलब है कि देश की राजधानी दिल्ली में रह रहे कश्मीर के लोगों और पर्यटकों ने मंगलवार को कहा कि वह अनिश्चितता के इस माहौल में घाटी से बाहर रहने पर राहत महसूस कर रहे हैं। हालांकि इन लोगों ने कश्मीर के हालात पर चिंता भी जताई। कुछ लोगों का कहना था कि बिना किसी संपर्क के वहां का जनजीवन पाषाण काल जैसा हो गया है। जेहरा बशीर ने कहा, ‘‘यह फैसला और इसके बाद के प्रभाव ने घाटी में सब कुछ ठहरा दिया है।’’ बशीर अपने दिल्ली पहुंचने की खबर अपने अभिभावकों को नहीं दे पा रही हैं।