भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई ने शनिवार यानी 4 अगस्त को कहा कि पार्टी संविधान के अनुच्छेद 35-ए पर चर्चा करने के लिए तैयार है, जिसके तहत राज्य के स्थायी निवासियों को विशेष दर्जा हासिल है। इस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 6 अगस्त को सुनवाई होने वाली है और इसके खिलाफ राज्य में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट कई याचिकाओं पर सुनवाई करेगा जिसमें एक याचिका आरएसएस से जुड़े एनजीओ ‘वी द सिटीजन्स’ ने दायर कर अनुच्छेद को खत्म करने की मांग की है।

राज्य भाजपा के मुख्य प्रवक्ता सुनील सेठी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘भाजपा किसी भी व्यक्ति या किसी भी राजनीतिक दल से इस बात पर चर्चा करने के लिए तैयार है कि अनुच्छेद 35-ए राज्य के लोगों के हित में है अथवा नहीं। हम खुला निमंत्रण देते हैं।’ उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 35-ए को लेकर पिछले कुछ दिनों से राज्य का राजनीतिक माहौल गर्म है और कुछ राजनीतिक दलों और खासकर कश्मीर में सक्रिय दलों ने इस मुद्दे पर ‘‘देश विरोधी और जनविरोधी’’ रूख अपनाया है।

नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस को निशाना बनाते हुए सेठी ने कहा कि अनुच्छेद 35-ए पर राज्य के लोगों को गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘अनुच्छेद 35-ए को जारी रखे जाने से राज्य को कोई फायदा नहीं होगा। केंद्र सरकार ने पिछले 70 वर्षों में राज्य को करोड़ों रुपये दिये लेकिन उतना विकास नहीं हुआ जितना होना चाहिए था।’ उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 35-ए राज्य के विकास में बाधा है क्योंकि इससे बाहरी निवेश नहीं हुआ है।

बता दें कि राष्ट्रपति के आदेश के बाद 14 मई 1954 को धारा 35-ए प्रकाश में आया था। इस धारा के अंतर्गत जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा को राज्य के नागरिकों और उनके विशेषाधिकार को परिभाषित करने की शक्ति मिली थी। सर्वोच्च न्यायालय में इस धारा की वैधता को चुनौती दी गई है। याचिका में धारा को रद्द करने की मांग की गई है, सर्वोच्च न्यायालय में इस याचिका पर 6 अगस्त को सुनवाई होगी।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)