जम्मू-कश्मीर में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रविंद्र रैना के साथ एक और विवाद जुड़ता नजर आ रहा है। दरअसल, यहां उन्होंने ट्रेनिंग पूरी कर चुके पुलिस अफसरों को पासिंग आउट परेड के बाद उनके बैज बांटे। इस कार्यक्रम की कई फोटो सामने आई हैं, जिसमें रैना को प्रोबेशनरी डिप्टी सुपरिटेंडेंट और अन्य पुलिस अफसरों की वर्दी पर बैज लगाते देखा जा सकता है। इन्ही तस्वीरों के बाहर आने के बाद से पूरे मामले पर विवाद की स्थिति पैदा हो गई है।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर भाजपा प्रमुख के साथ यह विवाद ऐसे समय जुड़ा है, जब सत्ताधारी दलों पर देश की शासन-व्यवस्था में भी राजनीति करने के आरोप लग चुके हैं। इस घटना पर जम्मू-कश्मीर पुलिस में तीन दशक तक सेवा देने वाले एक पूर्व अफसर ने कहा कि आज तक किसी नेता ने पुलिस की ट्रेनिंग पूरी करने वाले अधिकारियों को बैज नहीं पहनाए। उन्होंने कहा कि आमतौर पर यह काम पुलिस अफसर या ग्रैजुएट हुए अधिकारियों के परिवारवाले ही करते हैं, लेकिन कोई नेता नहीं, क्योंकि हमसे गैर-राजनीतिक होने की उम्मीद की जाती है।
कैसे सामने आईं फोटोज?: पुलिस अधिकारियों को बैज पहनाने की जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष की फोटोज भाजपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से शुक्रवार को पोस्ट की गई थीं। ट्वीट में कहा गया था- “जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना ने पास हुए डिप्टी एसपी और सब-इस्पेंक्टरों को उधमपुर की पुलिस एकेडमी में बैज पहनाए।”
इन्हीं में से एक फोटो में रैना (जिनक पास कोई संवैधानिक पद नहीं है) और भाजपा के एक पूर्व विधायक दर्जन भर पुलिस पास-आउट के साथ खड़े दिखते हैं। दो अन्य फोटो में रविंद्र रैना एक महिला पुलिस अफसर और एक पुरुष पुलिस अफसर के कंधे पर बैज लगाते दिखाई देते हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि यह कार्यक्रम उधमपुर स्थित शेर-ए-कश्मीर पुलिस एकेडमी में हुआ था, यहां इस दिन ट्रेनिंग ले चुके पुलिसकर्मियों की पासिंग आउट परेड देखने के लिए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और अन्य सम्मानीय व्यक्ति मौजूद थे।
एकेडमी के निदेशक एसडी सिंह जामवाल, जो कि जम्मू-कश्मीर में एडिशन डीजीपी का जिम्मा संभाल रहे हैं, ने इस घटना पर कहा कि यह सिर्फ मीडिया द्वारा बनाया गया मामला है और कुछ लोग इसे नया नजरिया देने की कोशिश में हैं। हालांकि, इस घटना पर सेना के पूर्व ब्रिगेडियर सीके सूद ने कहा कि यह भारत में नव-फासीवाद की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि मुझे कोई हैरानी नहीं होगी, अगर गृह मंत्री इस साल आईपीएस अफसरों का सम्मान करते नजर आएं। जम्मू-कश्मीर पुलिस तो बस शुरुआत है।

