जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) की छात्रा रहीं कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट की नेता शेहला रशीद की तरफ से लगाए गए आरोपों पर सेना ने पलटवार किया है। शेहला ने आर्टिकल 370 और जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार के बड़े फैसले के बाद घाटी के हालात को लेकर कुछ आरोप लगाए थे, जिन्हें सेना ने बेबुनियाद करार दिया। सेना ने बयान जारी करते हुए कहा, ‘इस तरह की अपुष्ट और फर्जी खबरें विरोधी तत्वों की तरफ से फैलाई जा रही हैं।’ सुप्रीम कोर्ट के वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने शेहला रशीद के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने भारत सरकार और सेना के के खिलाफ कथित तौर पर फर्जी खबरें फैलाने पर शेहला को गिरफ्तार करने की मांग की।
‘कानून-व्यवस्था पर पुलिस का नियंत्रण नहीं’: शेहला ने सिलसिलेवार ट्विट्स में रविवार (18 अगस्त) को लिखा था, ‘लोग कह रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर पुलिस का कानून-व्यवस्था पर कोई नियंत्रण नहीं है। सबकुछ अर्धसैन्य बलों के हाथ में है। सीआरपीएफ जवान के खिलाफ शिकायत करने वाले एक एसएचओ को को ट्रांसफर कर दिया गया। उनके पास सिर्फ डंडे हैं, उन्हें रिवॉल्वर भी नहीं दी जा रही। स्थानीय पत्रकारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। राज्य में एलपीजी की भारी कमी है और गैस एजेंसियां बंद हैं।’
Indian Army: Allegations levelled by Shehla Rashid are baseless and rejected. Such unverified & fake news are spread by inimical elements and organisations to incite unsuspecting population. pic.twitter.com/m6CPzSXZmJ
— ANI (@ANI) August 18, 2019
सेना पर लगाया डर पैदा करने का आरोपः इतना ही नहीं शेहला ने यह भी कहा, ‘सशस्त्र बलों के जवान रात के समय घरों में घुसकर लड़कों को ले जा रहे हैं, जानबूझकर राशन बिखेर दे रहे हैं, आटे में तेल मिला रहे हैं। शोपियां में चार लोगों को सेना ने कैंप में ले जाकर प्रताड़ित किया। इस दौरान उनके मुंह के पास माइक रखा गया ताकि उनकी चीखें सुनाकर पूरे इलाके में दहशत फैलाई जा सके। वो डर का माहौल पैदा कर रहे हैं।’
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गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने लगभग दो हफ्तों बाद श्रीनगर में 190 स्कूलों को फिर से खोल दिया है। मुख्य सचिव (योजना-विकास) रोहित कंसल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी देते हुए बताया कि धीरे-धीरे घाटी में लोगों पर प्रतिबंध कम कर उन्हें राहत दी जा रही है।