जम्मू कश्मीर में सात सरपंचों के साथ साथ 30 पंचों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देते हुए इन्होंने बीजेपी सरकार पर आवाज दबाने का आरोप लगाया है। ये सभी सरपंच और पंच रामबन जिले के दो प्रखंडों के हैं।

सरपंचों और पंचों ने रामसू बीडीसी अध्यक्ष शफीक अहमद कटोच को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। इन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें केंद्रीय मंत्रियों द्वारा सार्वजनिक आउटरीच कार्यक्रमों में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई थी। इसके साथ ही कुछ अन्य मुद्दों पर इन्होंने विरोध जताया है।

हालांकि, जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों ने गुस्साए सदस्यों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की और उनसे इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध किया है। उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी सभी शिकायतों का जल्द से जल्द समाधान किया जाएगा।

सरपंच गुलाम रसूल मट्टू, तनवीर अहमद कटोच और मोहम्मद रफीक खान ने आरोप लगाया कि सरकार ने जो वादे किए थे वो केवल कागजों पर ही रह गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उन लोगों की उपेक्षा की जा रही है। सरकार की तरफ से विकास कार्यों में अनावश्यक हस्तक्षेप का सामना करना पड़ रहा है।

जन संपर्क कार्यक्रम के तहत केंद्र सरकार के मंत्रियों के दौरे का जिक्र करते हुए पंचों ने कहा कि स्थानीय प्रशासन उनके प्रोटोकॉल का सम्मान नहीं कर रहा है। सरकार को गुमराह करने के लिए केवल चुनिंदा प्रतिनिधियों को ही आने वाले मंत्रियों के साथ बैठक करने के लिए आमंत्रित किया जाता है।

उन्होंने कहा- “12 में से केवल एक सरपंच को बनिहाल में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री से मिलने की अनुमति दी गई थी। सार्वजनिक मुद्दों को उठाने के लिए मट्टू को रेल मंत्री से मिलने की भी अनुमति नहीं थी। हम अपमान का सामना कर रहे हैं। जनता से किए गए वादे को निभाने में असमर्थ हैं”।

इस मामले को लेकर अब पीडीपी ने सरकार पर निशाना साधा है। पीडीपी प्रवक्ता मोहित भान ने ट्विटर पर पंचों और सरपंचों के दो पन्नों के इस्तीफे को शेयर करते हुए लिखा है कि पंचों और सरपंचों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दिया। जिस सामान्य हालत का दावा किया जाता है उसकी पोल खुल गई है।

हालांकि अधिकारी इन पंचों और सरपंचों का मनाने में जुट गए हैं। इसके लिए सोमवार को एक मीटिंग भी बुलाई गई है, जहां इनकी समस्याओं पर चर्चा की जाएगी।