साइमा अख्तर के घऱ सुरक्षा बल कम तलाशी लेने आ गए। उसने विरोध किया, खरी-खोटी सुनाई। और, पूरे प्रकरण का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया। अगले दिन साइमा को विधि-विरुद्ध गतिविधियां निवारण कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार कर लिया। साइमा विशेष पुलिस अफसर (एसपीओ) थी। उसे सेवा से हटा दिया गया है।

पुलिस ने कहा है कि साइमा आतंकवाद का महिमा-मंडन कर रही थी और सरकारी कर्मचारियों के काम में बाधा डाल रही थी। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने गिरफ्तारी की निंदा की है। मामला कुलगाम जिले के फ्रिसाल गांव का है।

वीडियो में साइमा का चेहरा ढका हुआ है। वह फौजी जवानों पर चिल्ला रही है कि वे उसके परिवार को रमज़ान में भी तलाशियों से नहीं बख्श रहे हैं। कहती हैः तुम बाहरी लोग क्यों बार-बार आ जाते हो। उन घरों में जाओ न जहां आतंकी छिपे हैं। “हमें सहरी भी नहीं करने दे रहे। मेरे घर की तलाशी लेनी ही है तो जूते उतरा कर आओ।” वह कहती है कि मां स्वस्थ नहीं हैं। “अगर उसे कुछ हो गया तो…समझ लेना!”

इस पर युवती को कोई संभवतः कोई फोजी डपटता है। (उसका चेहरा भी दिख नहीं रहा)। युवती फिर चिल्लाती है, “ज़बान बंद रखो, हम डरने वाले नहीं। यह हमारा कश्मीर है। तुम बाहर से आए हो। जो करना हो कर लो।” वह इतने पर ही नहीं रुकती और कह देती है, “अगर वो (आतंकी) लोग यहां होते तो वे तुम्हारी छाती में गोलियां उतार चुके होते।”

सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 14 अप्रैल को सुरक्षा बलों ने सुरागरशी के बाद फ्रिसाल गांव में तलाशी अभियान चलाया था। अभियान में साइमा अख्तर नाम की महिला ने बाधा डाली। उसने तलाशी का प्रतिरोध किया। वह हिंसक हो उठी और ऐसी बातें बोलने लगीं, जिनसे आतंकियों का महिमा-मंडन होता है।

इस युवती ने अपने फोन से इस सबका वीडियो बनाया और उसे सोशल मीडिया के कई ठिकानों पर अपलोड कर दिया। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक ट्वीट के जरिए युवती पर लगाए गए आरोपों की निंदा की है। साइमा को रोज-रोज तलाशी के खिलाफ वाजिब सवाल उठाने के लिए गिरफ्तार किया गया है…“नए कश्मीर में महिलाओं को भी नहीं बख्शा जा रहा।”