ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद ने पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक लंबित याचिका में हस्तक्षेप का आग्रह करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में कहा गया है कि मूल याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में वे आधार रखे हैं, जिन पर शीर्ष अदालत की संविधान पीठ पहले ही विचार कर चुकी है।
जमीयत ने अयोध्या फैसले का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को कहा था, ‘कानून को अतीत में पहुंचने के लिए एक उपकरण के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता और हर उस व्यक्ति को कानूनी उपाय प्रदान नहीं किया जा सकता जो इतिहास की धारा से असहमत है। आज की अदालतें ऐतिहासिक अधिकारों एवं गलतियों का संज्ञान तब तक नहीं ले सकतीं, जब तक यह नहीं दर्शाया जाता कि उनके कानूनी परिणाम वर्तमान में लागू करने योग्य हैं।
संगठन ने कहा कि वक्फ अधिनियम और पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के बीच कोई विरोधाभास नहीं है, जैसा कि उपाध्याय ने आरोप लगाया है, क्योंकि 1991 के अधिनियम की धारा-7 इसे अन्य अधिनियमों पर एक अधिभावी प्रभाव देती है। संगठन ने कहा है, ‘कई मस्जिदों की एक सूची है, जो सोशल मीडिया पर घूम रही है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कथित रूप से हिंदू पूजा स्थलों को नष्ट करके मस्जिदों का निर्माण किया गया था।’याचिका में कहा गया है कि यदि वर्तमान याचिका पर विचार किया जाता है, तो देश में अनगिनत मस्जिदों के खिलाफ मुकदमेबाजी के द्वार खुल जाएंगे।
स्वामी अविमुक्तेशरानंद ने क्या कहा-
वहीं ज्ञानवापी में कथित शिवलिंग पर जलाभिषेक को लेकर स्वामी अविमुक्तेशरानंद अनशन पर हैं और अब उनके समर्थन में दांडी स्वामी भी उतर गए हैं। स्वामी का अनशन जारी है और स्वामी का स्वास्थ्य लगातार गिर रहा है। ऐसे में अब देखना ये होगा कि अनशन पर निर्णय क्या होता है। स्वामी ने कहा कि यह अनशन और हट नहीं है। पुलिस कर्मियों ने हमको रोक दिया। हम तो पूजा करने जा रहे थे। जहां तक सभी लोग जाते वहां तक हम भी जाते। अगर किसी प्रतिबंधित क्षेत्र में हम प्रवेश करते तब हमको रोका जाता, लेकिन हमारे मठ से बाहर निकलने पर, जहां सभी दर्शनार्थी जा रहे हैं, वहां पर भी जाने पर हमारे ऊपर रोक लगा दी गई। ये अन्याय हमारे साथ हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रण था कि पूजा के बाद भोजन करेंगे, लेकिन अब जब पूजा नहीं होती है, तब तक अन्न-जल का त्याग करके हम बैठे हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने तो पूजा रोकने पर रोक नहीं लगाई है। ऐसा कोई कोर्ट का आदेश भी नहीं है। अगर किसी के पास कोर्ट का आदेश है तो वो हमको दिखा दे।