Delhi News: प्रधानमंत्री आवास से कुछ ही किलोमीटर दूरी पर डीआईडी कैंप हैं। इस कैंप में 90 घर हैं और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के भूमि एवं विकास कार्यालय से यहां के लोगों को बेदखली और पुनर्वास का नोटिस मिला है। यहां पर रहने वाले बुजुर्ग रूपलाल अपने परिवार को लेकर काफी परेशान हैं। वह कहते हैं, “सर्दियों में घर से बाहर निकलना कैसे संभव है? मैं बहुत छोटी उम्र में अपने पिता के साथ यहां आ गया था।”

रूपलाल के पास में बैठी उनकी पत्नी आशा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हमने किराए के कमरे देखे हैं, लेकिन उनका किराया लगभग 10000 से 15000 रुपये है। हम इतना खर्च नहीं उठा सकते।” उनका बेटा एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है और परिवार का इकलौता कमाने वाला है। 29 अक्टूबर को जारी नोटिस में कहा गया है कि क्लस्टरों के पुनर्वास के संबंध में एलएंडडीओ और डीडीए द्वारा जनवरी 2024 में एक जॉइंट सर्वे किया गया था।

इस बेदखली नोटिस में क्या है?

बेदखली नोटिस में कहा गया है, “यह नोटिस आपको रेसकोर्स एरिया में सरकारी जमीन पर स्थित अवैध झुग्गी झोपड़ी के अंदर एक अवैध कब्जेदार के रूप में जारी किया गया है। चूंकि परिसर पर आपका कब्जा अवैध है और आप पुनर्वास योजना के तहत वैकल्पिक आवास के लिए योग्य नहीं हैं। इसलिए आपको इस नोटिस के जारी होने की तारीख से 15 दिनों के अंदर खाली करने का निर्देश दिया जाता है।”

साथ में चिपकाए गए एक रिहेबिलेशन नोटिस में लिखा था, “हमें आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि उपयुक्त आवास डीयूएसआईबी कॉलोनी, सावदा घेवरा में चिन्हित कर लिया गया है।” यह करीब 40 किलोमीटर दूर है। इसमें उन्हें खाली करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया था। इसमें एलिजिबल और नॉन एलिजिबल नामों की लिस्ट है। साथ ही, हर एक के लिए कारण भी दिए गए हैं। अपात्र लोगों के साथ दिए गए कुछ कारणों में कोई वैध डॉक्यूमेंट जमा नहीं किया गया, साल 2012, 2013, 2014 और जनवरी 2015 तक किसी भी वोटर लिस्ट में नाम नहीं मिला, झुग्गी किसी और को बेच दी गई शामिल हैं।”

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जबकि रूपलाल का परिवार पुनर्वास के लिए पात्र पाया गया है। आशा का कहना है कि वे वहां से जाने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि उनके पति का सफदरजंग अस्पताल में इलाज चल रहा है। आस-पास की दो अन्य झुग्गी कलस्टरों को भी इसी तरह के नोटिस मिले हैं। इनमें भाई राम कैंप और मस्जिद कैंप का नाम शामिल है। यहां के कई लोग रेस कोर्स और जयपुर पोलो ग्राउंड में होर्स ट्रेनर या मजदूरी करने का काम करते हैं।

दिल्ली के मंत्री से मिलकर नोटिस हटाने का आग्रह किया- कृष्ण कुमार

डीआईडी ​​कैंप के रहने वाले कृष्ण कुमार का दावा है कि तीनों झुग्गी बस्तियों के लोगों ने दिल्ली के मंत्री प्रवेश साहिब सिंह से मिलकर नोटिस हटाने का अनुरोध किया था। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मंत्री ने कहा है कि उन्होंने अधिकारियों से बात कर ली है और झुग्गियां नहीं तोड़ी जाएँगी। लेकिन देखते हैं क्या होता है।” पुनर्वास के लिए पात्र कुमार ने बताया कि सर्वेक्षण के दौरान आधार, राशन और वोटर आईडी कार्ड जैसे डॉक्यूमेंट्स की जांच की गई।

जब से ये सरकार आई है तब से यही चल रहा

एक महिला ने कहा, “बच्चों का स्कूल यहीं पास में है, मेरे पति का काम भी पास में है। जब से ये सरकार आई है जब से ये चल रहा है। बोले थे जहां झुग्गी वहां मकान, कहां है वो अब।” भाई राम कैंप के एंट्री गेट पर भी पात्र और अपात्र लोगों की लिस्ट चिपकी हुई है। लोगों का दावा है कि यहां 70-80 घर हैं। इस कैंप में जन्मे सैमुअल रायकल का दावा है कि सावदा घेवरा के फ्लैट रहने लायक नहीं हैं। उन्होंने कहा, “मैंने फ्लैट देखे, उन्हें और काम की जरूरत है। वे अभी तैयार नहीं हैं।”

क्लस्टर की प्रधान का कहना है कि उन्होंने 7 किलोमीटर के दायरे में लोगों को रिलोकेट करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “यह पहला नोटिस नहीं है जो हमें जारी किया गया है। लेकिन पहली बार कोई डेडलाइन दी गई है।” हरे-भरे जयपुर पोलो मैदान के सामने मस्जिद कैंप है। यहां कई परिवार किराये पर रहते हैं, जिनका किराया लगभग 6,000-7,000 रुपये है। एक महिला कहती है, “हम किराये पर रहते हैं, तो हमारा नाम लिस्ट में कैसे आएगा? मेरे पति रेसकोर्स में बेलदार का काम करते हैं।”

अधिकारी ने क्या बताया?

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, “दिल्ली में लगभग सभी झुग्गी बस्तियों का सर्वे किया जा रहा है क्योंकि वे सरकारी जमीन पर हैं और कुछ वीवीआईपी इलाकों में भी हैं, जिसका मतलब है कि उन्हें बेदखल किया जाएगा। लेकिन सरकार एक ऐसी नीति लाने की योजना बना रही है जिसके तहत लोगों का 2-3 किलोमीटर के दायरे में पुनर्वास किया जाएगा।”

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