अतिरिक्त सचिव बीके प्रसाद की एक सदस्यीय समिति कथित तौर पर इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले से जुड़ी लापता फाइलों की जांच करेगी। यह जानकारी सोमवार को सरकार ने दी। गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव प्रसाद उन परिस्थितियों की जांच करेंगे जिसमें इशरत जहां मामले से जुड़ी फाइलें गायब हो गईं। गुजरात में 2004 में कथित फर्जी मुठभेड़ में इशरत जहां मारी गई थीं। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि समिति फाइलों का रखरखाव करने और संबंधित मुद्दे से जुड़े लोगों का पता लगाएगी।

गृह मंत्रालय से जो कागजात गायब हुए हैं उनमें अटॉर्नी जनरल की तरफ से तैयार हलफनामा और 2009 में गुजरात हाई कोर्ट को सौंपा गया हलफनामा और एजी द्वारा तैयार दूसरा हलफनामा शामिल है जिसमें बदलाव किए गए थे। तत्कालीन गृह सचिव जीके पिल्लै द्वारा तत्कालीन अटॉर्नी जनरल दिवंगत जी ई वाहनवती को लिखे गए दो पत्र व मसौदा हलफनामा की प्रति लापता है।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दस मार्च को संसद में खुलासा किया था कि फाइल लापता हो गई हैं। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि पहला हलफनामा महाराष्ट्र और गुजरात पुलिस के अलावा खुफिया ब्यूरो की तरफ से दी गई जानकारी पर आधारित था जिसमें कहा गया था कि मुंबई के बाहरी इलाके की 19 वर्षीय लड़की लश्कर ए तैयबा की सदस्य है लेकिन दूसरे हलफनामे में इस जानकारी की अनदेखी की गई थी।

अधिकारियों ने कहा कि तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा तैयार दूसरे हलफनामे में दावा किया गया कि यह साबित करने के लिए ठोस साक्ष्य नहीं हैं कि इशरत आतंकवादी थी। पूर्व केंद्रीय गृह सचिव जी के पिल्लै ने हाल में दावा किया था कि गृह मंत्री के तौर पर चिदंबरम ने मूल हलफनामा दायर करने के एक महीने बाद फाइल को मंगवाया था। मूल हफनामे में इशरत और मारे गए सहयोगियों को लश्कर ए तैयबा का सदस्य बताया गया था। बाद में हलफनामा बदलवा दिया गया। इसके बाद चिदंबरम ने हलफनामे की जिम्मेदारी लेते हुए कहा था कि पिल्लै भी हलफनामा बदलवाने में बराबर के जिम्मेदार थे।