IRCTC Indian Railways: 140 साल पुराने दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (DHR) से वर्ल्ड हेरिटेड साइड का दर्जा छिन सकता है। दरअसल, भारत की ओर से कथित तौर पर इस रेलवे नेटवर्क को संरक्षित करने की दिशा में पर्याप्त कदम न उठाने की वजह से यूनेस्को अब यह पता लगाने की कोशिश करेगा कि क्या इसे वैश्विक धरोहर का दर्जा दिया जाना सही रहेगा कि नहीं। यूनेस्को अब इस रेल नेटवर्क के ताजा हालात को पता लगाने की दिशा में कदम उठाएगा।

बता दें कि वर्ल्ड हेरिटेज साइट को संरक्षित करने की दिशा में उठाए गए कदमों को लेकर इंडियन रेलवेज की ओर से दिए गए जवाब से यूनेस्को संतुष्ट नहीं है। संगठन अब एक्सपर्ट्स की एक टीम यानी अपने रिएक्टिव मॉनिटरिंग टीम को दार्जिलिंग भेजेगा। ये एक्सपर्ट यूनेस्को के वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी एंड द इंटरनैशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स ऐंड साइट्स से जुड़े हुए हैं। यह टीम इंडियन रेलवेज के साथ मिलकर इस रेल नेटवर्क की हालत का जायजा लेगी। टीम इस धरोहर को और ज्यादा नुकसान होने से रोकने की दिशा में लिए जा सकने वाले ऐक्शन रेलवे को सुझाएगी।

बता दें कि भारतीय रेलवे इस धरोहर से जुड़ी संपत्तियों मसलन- पटरियां, इमारतें, ब्रिज यहां तक कि इंजन और डब्बों को संरक्षित करने तक में संघर्ष कर रहा है। यूनेस्को ने पूर्व में भी इस धरोहर को हो रहे नुकसान का मामला उठाया था। यूनस्को की ओर से उठाया गया हालिया कदम इस नेटवर्क से वैश्विक धरोहर का दर्जा छिनने की दिशा में एक खतरे की घंटी है। दरअसल, यूनेस्को के गाइडलाइंस के मुताबिक, रिएक्टिव मॉनिटरिंग टीम को उस वक्त भेजा जाता है कि जब कोई वर्ल्ड हेरिटेज साइट खतरे में हो और इसे प्रतिष्ठित वैश्विक सूची से हटाए जाने की जरूरत महसूस हो।

वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी का दावा है कि कई बार दरख्वास्त के बावजूद इंडियन रेलवेज ने 2017 से 2019 के बीच इस रेलवे नेटवर्क के मेंटेनेंस और निगरानी में आई कमी, अतिक्रमण, पटरियों पर कूड़ा फेंके जाने आदि संबंधित समस्याओं पर जानकारी नहीं दी। ये सभी खामियां वैश्विक धरोहरों को संरक्षित करने के दिशा निर्देशों का उल्लंघन मानी जाती हैं। हालांकि, नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के जनरल मैनेजर संजीव रॉय का दावा है कि यूनेस्को के सभी सुझावों का पालन किया गया और धरोहर की सुरक्षा उनकी शीर्ष प्राथमिकता में शामिल है।