हरियाणा के वरिष्ठ IPS अफसर वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में चंडीगढ़ पुलिस ने गुरुवार को FIR दर्ज कर ली है। यह FIR आईपीएस अफसर की पत्नी IAS अधिकारी अमनीत पी. कुमार की शिकायत पर दर्ज की गई है। चंडीगढ़ पुलिस ने कहा है कि आत्महत्या के लिए उकसाने और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) एक्ट के आरोपों के तहत यह FIR दर्ज की गई है।
वाई. पूरन कुमार ने सुसाइड नोट में जिन लोगों के नाम लिए हैं, उनके खिलाफ FIR दर्ज करने की कार्रवाई की गई है।
डीजीपी और एसपी के खिलाफ दी थी शिकायत
अमनीत पी. कुमार ने इस मामले में हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग करते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके पति को फर्जी सबूत गढ़कर फंसाने की साजिश रची गई थी।
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चंडीगढ़ स्थित आवास में की थी आत्महत्या
वाई. पूरन कुमार ने 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ में स्थित अपने आवास में गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। घटना से एक दिन पहले उन्होंने अपनी वसीयत तैयार की थी और अपनी सारी चल-अचल संपत्ति पत्नी अमनीत पी. कुमार के नाम कर दी थी। इसके साथ ही उन्होंने 9 पन्नों का सुसाइड नोट भी लिखा था और इसे पत्नी को भेजा था।
उस दौरान उनकी पत्नी हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ जापान के दौरे पर थी। सुसाइड नोट में उन्होंने 15 सीनियर IAS और IPS अफसरों के खिलाफ जातिगत आधार पर और मानसिक उत्पीड़न करने जैसे गंभीर आरोप लगाए थे।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर का लिया स्वतः संज्ञान
इस मामले पर द इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर का राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) ने स्वतः संज्ञान लिया है और हरियाणा के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे नोटिस प्राप्त होने के सात दिनों के भीतर आरोपों को लेकर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट आयोग को भेजें।
नोटिस में कहा गया है कि अगर मुख्य सचिव समय पर रिपोर्ट नहीं देंगे तो आयोग उन्हें या उनके प्रतिनिधियों को बुला सकता है।
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राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने कहा है कि कार्रवाई रिपोर्ट (ATR) में घटना की तारीख और थाने का विवरण और अपराध की प्रकृति, पीड़ित का नाम और पता, सभी आरोपियों के नाम, दर्ज एफआईआर का विवरण और धाराएं, गिरफ्तार आरोपियों की संख्या, नियमों के अनुसार पीड़ित को दिए गए मुआवजे का विवरण सहित बाकी जरूरी जानकारी होनी चाहिए।
2001 बैच के IPS अफसर वाई. पूरन कुमार ने सुसाइड नोट में लिखा था कि उन्हें मंदिर जाने पर परेशान किया गया, छुट्टी नहीं दी गई जिससे वे मौत से पहले अपने पिता से नहीं मिल सके, उन्हें बहुत कम महत्व वाले पदों पर पोस्टिंग दी गई और झूठी कार्यवाही का सामना करना पड़ा।