उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में पहले तलाक और फिर पुनर्विवाह का अजीबोगरीब मामला सामने आया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक दो महिलाओं ने अपने-अपने पतियों को तलाक देकर आपस में समलैंगिक विवाह रचा लिया। दोनों ने एक-दूसरे को वरमाला पहना दी और दोनों पंजीयन के लिए रजिस्ट्रार के ऑफिस भी पहुंचीं। लेकिन शादी का पंजीकरण नहीं हो पाया।
सात साल की मुलाकात यूं बदली प्यार में
यह कहानी राठ के रहने वाले प्रीतम सिंह की बेटी अभिलाषा और कधौली के रहने वाले सुग्रीव कुमार की बेटी दीपशिखा की है। दोनों की मुलाकात सात साल पहले गांव में हुई थी। धीरे-धीरे दोस्ती प्यार में बदल गई लेकिन इस बात का उन्हें भी पता नहीं चला। इसी बीच दोनों की शादी हो गई और वे अपने-अपने ससुराल चली गईं। लेकिन ससुराल में दोनों का मन नहीं लगा। दोनों ने कुछ ही दिनों में अपने पति से तलाक ले लिया और आपस में शादी करने का फैसला लिया। अब दोनों के परिजन इस शादी के खिलाफ हैं।
नहीं हुआ शादी का पंजीयन
अभिलाषा और दीपशिखा ने सात फेरों के बजाय कोर्ट में सात वादों का शपथ पत्र प्रस्तुत किया। लेकिन रजिस्ट्रार ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से समलैंगिक शादी को सामाजिक मान्यता देने से जुड़ा शासन आदेश विभाग में नहीं पहुंचने का हवाला देकर पंजीयन करने से मना कर दिया। इस मामले में यह भी जानकारी सामने आई कि दोनों में से एक की उम्र 26 साल और दूसरी की 21 साल है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट इस साल समलैंगिक संबंधों को अपराध करार देने वाली आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा 377 को असंवैधानिक घोषित कर चुका है।
शपथ पत्र में लिखे ये सात वचन
– दोनों में से किसी के भी नौकरी करने पर किसी कोई ऐतराज नहीं होगा।
– दोनों किसी भी गैर मर्द से शारीरिक संबंध नहीं बनाएंगी।
– दोनों सहमति से बच्चा गोद ले सकेंगी।
– कोर्ट में एक-दूसरे पर कोई शिकायत नहीं करेंगी।
– दोनों का बैंक में संयुक्त खाता होगा।
– माता-पिता, भाई-बहन और पूर्व पति की चल-अचल संपत्ति पर कोई हक नहीं होगा।
– युवती अपने पिता के नाम दर्ज मकान में रहेगी।