गुजरात के अहमदाबाद में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव 2018 की शुरुआत हो गई है। 1989 से शुरू हुई इस परंपरा का अब 30वां साल है। रविवार यानी 6 जनवरी से शुरू हुआ यह महोत्सव 14 जनवरी तक चलेगा। इस दौरान अहमदाबाद के साबरमती रिवर फ्रंट पर 46 देशों के करीब 800 पतंगबाज अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। इस दौरान यहां आसमान में खूबसूरत नजारे देखने को मिलते हैं। अलग-अलग आकृतियों और संदेशों वाली बड़ी-बड़ी पतंगें आसमान में लहराती हैं। उत्तरायण के इस त्योहार का समापन मकर संक्रांति के दिन यानी 14 जनवरी को होगा।
…इतना भव्य होता है समारोहः पतंग महोत्सव में भारत के अलावा 45 देश शिरकत करते हैं। यहां 45 देशों से 151 पतंगबाज आए हैं। वहीं भारत में गुजरात के अलावा 13 राज्यों से 105 पतंगबाज पहुंचे हैं। अकेले गुजरात के 19 शहरों से 545 पतंगबाज हवाओं में पेंच लड़ाएंगे। गुजरात में सिर्फ अहमदाबाद ही नहीं 11 अन्य शहरों में भी पतंग महोत्सव का आयोजन किया गया है। नर्मदा जिले में बनी सरदार पटेल के ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ के पास भी 8 जनवरी को पतंग महोत्सव आयोजित किया जाएगा।
गुजरात के अलावा यहां भी पतंगबाजी का जोरः मकर संक्रांति के करीब आते-आते सिर्फ गुजरात ही नहीं देश में और भी कई जगहों पर पतंगबाजी चरम पर होती है। इनमें राजस्थान की राजधानी जयपुर भी काफी मशहूर है। इन दिनों राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कई हिस्सों में भी पतंगबाजी का खासा उत्साह होता है। उल्लेखनीय है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली के आसपास पतंगबाजी मकर संक्रांति के बजाय स्वाधीनता दिवस यानी 15 अगस्त के आसपास ज्यादा होता है।
क्या होता है उत्तरायणः इसका शाब्दिक अर्थ होता है ‘उत्तर दिशा की ओर गमन’। जैसे-जैसे सूर्य का उत्तरायण होता है, वैसे-वैसे दिन लंबा और रात छोटी होती जाती है। 21 जून तक ऐसी ही स्थिति चलती है। उसके बाद दक्षिणायन शुरू होता है और दिन छोटे और रातें बड़ी होने लगती हैं। मकर संक्रांति का पर्व उत्तरायण के दौरान ही पड़ता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर लेता है।