मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में करीब 5,108 करोड़ रुपए की स्मार्ट सिटी परियोजना पर काम जारी है। मौजूदा वित्त वर्ष में केंद्र के इस महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम पर करीब दो सौ करोड़ रुपए खर्च किए जा सकते हैं। नगर निगम आयुक्त मनीष सिंह ने मंगलवार को कहा- हमारा अनुमान है कि शहर में मौजूदा वित्त वर्ष में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत सड़कों, जलापूर्ति, सीवरेज और पानी की रिसाइकिलिंग योजनाओं पर करीब दो सौ करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत सड़क निर्माण का काम शुरू हो चुका है। इसके साथ ही जलापूर्ति, सीवरेज और पानी की रिसाइकिलिंग योजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बननी शुरू हो गई है। सब कुछ ठीक रहा, तो अगले दो महीनों में तीनों योजनाओें की निविदा जारी कर दी जाएंगी।
सिंह ने बताया कि स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए स्थानीय प्रशासन को अब तक केंद्र और राज्य सरकार से करीब 248 करोड़ रुपए की मदद मिल चुकी है। उन्होेंने बताया कि नगर निगम ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अपने बजट में इस परियोजना के लिए दो सौ करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। यह राशि केंद्र और प्रदेश सरकार की ओर से मिलने वाली सौ-सौ करोड़ रुपए की मदद से जुटाई जाएगी।
स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए शहर को केंद्र और राज्य सरकार से महज 500-500 करोड़ रुपए यानी कुल 1,000 करोड़ रुपए की मदद मिलनी है। ऐसे में जाहिर है कि करीब 5,108 करोड़ रुपए के इस महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम के लिए शेष पूंजी जुटाने की खातिर स्थानीय प्रशासन को अपने बूते खूब जोर लगाना पड़ेगा। इस बारे में पूछे जाने पर निगम आयुक्त ने कहा कि शहर के पुराने क्षेत्रों को नए सिरे से विकसित करने के लिए हम सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के आधार पर योजनाएं शुरू करेंगे और निजी कंपनियों से प्रीमियम वसूलेंगे। हम रिहायशी और व्यावसायिक उपयोग वाले भवनों का फ्लोर एशिया रेशो बढ़ाकर इनके मालिकों को अतिरिक्त निर्माण की मंजूरी देंगे। इसके बदले उनसे प्रीमियम की वसूली की जाएगी। इंदौर, देश के उन पहले 20 शहरों में शामिल है, जिन्हें केंद्र की स्मार्ट सिटी योजना के पहले चरण के लिए चुना गया था।

