भारतीय महिलाएं यात्रा की योजना बनाने में और मुखर हो रही हैं, क्योंकि महिला उत्तरदाताओं में से भारी भरकम 75 फीसद ने बताया कि यात्रा के लिए बनने वाली योजना में उनकी भागीदारी समान रहती है।
यह जानकारी हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण से सामने आई है। सर्वेक्षण में पाया गया कि भारतीय महिला यात्रियों ने माना है कि यात्राओं ने उनके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है, क्योंकि 69 फीसद महिलाओं का कहना है कि भ्रमण ने उन्हें तनाव मुक्त रहने में मदद की है और 50 फीसद का कहना है कि इससे उन्हें प्रेरणा मिली है।
‘ट्रिप एडवाइजर’ द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार,‘यात्रा करने वाली लगभग 50 फीसद एशियाई महिलाएं कहती हैं कि अपनी सभी यात्राओं के बारे में वे खुद ही निर्णय लेती हैं। जबकि 46 फीसद ने कहा कि वे अपनी ट्रैवल योजना बनाने में अपने पति या साथी की राय भी लेती हैं।’
इस सर्वेक्षण में ‘ट्रिप एडवाइजर’ ने इस बात को विशेष रूप से उजागर किया है कि समूचे एशिया की महिलाएं अपनी छुट्टियां बिताने के लिए योजना कैसे बनाती हैं।’ इसमें कहा गया है कि केवल 32 फीसद भारतीय महिला यात्री अपने सफर के बारे में स्वयं निर्णय लेती हैं, लेकिन 75 फीसद महिलाएं यात्रा योजना बनाने के लिए अपनी राय व्यक्त करने में समान भागीदार होती हैं।’
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जारी इस सर्वेक्षण के नतीजे भारत, सिंगापुर, थाईलैंड, मलयेशिया, इंडोनेशिया, चीन एवं जापान सहित सात एशियाई देशों की 2800 से अधिक महिला यात्रियोंं के जवाबों पर आधारित हैं। सर्वेक्षण में पाया गया कि यात्रा करने वाली एशिया की 68 फीसद और भारत की 63 फीसद महिलाओं का मानना है।
कि भ्रमण करने से उन्हें दुनिया के बारे में और ज्यादा जानकारी मिलती है। जबकि ट्रैवल करने वाली 33 फीसद एशियाई की और 36 फीसद भारतीय महिलाओं ने कहा कि विभिन्न जगहों के भ्रमण ने उनके सोचने एवं रहन-सहन के तौर तरीके को बदल दिया है।
इसके अनुसार भारतीय महिला यात्रियों ने यह भी महसूस किया कि उनके द्वारा की गई यात्राओं से उनमें और अधिक विश्वास (46 फीसद) बढ़ा है और इसने उन्हें सीखने एवं नई चीजों को करने के लिए प्रेरित किया है।