अनूप चौधरी

चौटाला परिवार में तकरार के बाद अब इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) में भी भगदड़ मच गई है। पलवल जिले के एकमात्र इनेलो विधायक केहर सिंह रावत ने सोमवार को भाजपा का दामन थाम लिया। रावत, हथीन विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की लहर में इनेलो के टिकट पर विधायक चुने गए थे। भाजपा में शामिल होने के लिए रावत ने दलबल कानून का भी मजाक उड़ाया है। उन्हें मालूम है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार है और इसके चलते विधानसभा अध्यक्ष उन पर पाबंदी नहीं लाएंगे और दलबल कानून के तहत उन्हें अयोग्य भी नहीं ठहराया जाएगा। कानून के तहत दलबल करने वालों पर चुनाव लड़ने के लिए छह साल की पाबंदी लगाई जा सकती है।

आयाराम-गयाराम से बदनाम हरियाणा में एक बार फिर दलबदलू की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया जा रहा है। खासबात यह कि इस कानून को बनवाने और दलबल के आलोचना करने वाली भाजपा ही अब इसे हवा दे रही है। यह सब लोकसभा चुनाव जीतने के लिए किया जा रहा है।

हरियाणा में भाजपा कितने बड़े दावे करे पर जमीन हकीकत यह है कि एक-एक सीट जीतने के लिए शाम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाई जा रही है। कांग्रेस ने एका दिखाया और मजबूत उम्मीदवार चुनाव में उतारा दिया तो भाजपा मुश्किल में फंस जाएगी।