हरियाणा की राजनीति में इन दिनों इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) अपने खराब दौर से बाहर निकलने की कोशिश कर रही है। इनेलो ने 25 सितंबर को रोहतक में एक बड़ी रैली का आयोजन किया है। देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के बेटे ओम प्रकाश चौटाला के दिसंबर, 2024 में निधन के बाद चौटाला परिवार का हरियाणा में यह पहला बड़ा कार्यक्रम है।
रोहतक की रैली को लेकर इसलिए भी चर्चा ज्यादा है क्योंकि रोहतक राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गृह क्षेत्र है।
अभय चौटाला ने रैली में आने के लिए शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष व सांसद हनुमान बेनीवाल और नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी को निमंत्रण भेजा है।
अभय चौटाला ने रैली को कामयाब बनाने के लिए हरियाणा के सभी 90 विधानसभा सीटों के दौरा किया है।
टूट के बाद कमजोर हो गई इनेलो
चौटाला परिवार में विभाजन के बाद उनके बड़े भाई अजय चौटाला और उनके बेटे दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) बनाई थी। जेजेपी ने 2019 के विधानसभा के चुनाव में 10 सीटें जीती थी और इसका बड़ा असर इनेलो पर पड़ा था हालांकि 2024 के विधानसभा चुनाव में जेजेपी का बुरा हाल हुआ और उसे कोई सीट नहीं मिली जबकि इनेलो दो सीट जीतने में कामयाब रही। 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में इनेलो को 4.14 प्रतिशत वोट मिले जबकि जेजेपी को सिर्फ 0.9%।
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इनेलो को उम्मीद है कि जेजेपी के कमजोर होने का उसे फायदा मिलेगा।
दुष्यंत को भारी पड़ी गलती
अभय चौटाला ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘जेजेपी खत्म हो चुकी है और हमारे सभी कार्यकर्ता इनेलो में लौट आए हैं।’ माना जाता है कि केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के दौरान भाजपा के साथ बने रहने की कीमत दुष्यंत चौटाला और उनकी पार्टी को चुकानी पड़ी।
इनेलो की रैली को लेकर बीजेपी और कांग्रेस का कहना है कि इस पार्टी का हरियाणा में अब कोई आधार नहीं बचा है।
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