नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर अमर्त्य सेन का कहना है सहिष्णुता एक बहुत महान गुण है और भारत में वर्तमान में हमेंं इसकी बहुत जरूरत है। सेन बुधवार को यहां प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के विशेष दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे। सेन ने कहा कि कवि हेनरी लुइस विवियन डेरोजियो जैसी संशयी सहिष्णुता की जरूरत है जिनकी किसी भी समूह से शत्रुता नहीं थी, लेकिन वे सभी पर सवाल उठाते थे।
उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा कि लोकतंत्र बहुसंख्यकों का शासन नहीं है। उन्होंने कहा कि अब यदि आप भारत के बारे में सोचेंगे, जब हम कहते हैं कि लोकतंत्र को कुछ खतरा हो सकता है। सबसे पहले लोकतंत्र केवल बहुसंख्यकों का एक शासन नहीं है, इसमें अल्पसंख्यकों के अधिकार भी शामिल हैं, इसमें स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आदि भी शामिल हैं।
एक विशेष दीक्षांत समारोह में सेन को विश्वविद्यालय की ओर से डी. लिट की मानद उपाधि प्रदान दी गई। सेन ने इसी कालेज से अर्थशास्त्र में स्नातक किया था। सेन इस वक्त प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के संरक्षक समूह के अध्यक्ष के सलाहकार हैं।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय को चलाने के लिए सरकार की मदद जरूरी है, लेकिन सरकार को संस्थान पर हावी नहीं होना चाहिए।