भारत को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए ‘किफायती केंद्र’ बताते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने सोमवार को कहा कि शैक्षणिक संस्थानों की रैंकिंग जारी करने और आइआइटी द्वारा विदेशों में प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के निर्णय से देश में ज्यादा विदेशी छात्र आएंगे।

भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् (आइसीसीआर) की तरफ से आयोजित समारोह में ईरानी ने शैक्षणिक और सांस्कृतिक कूटनीति के महत्त्व पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा, ‘देश के शैक्षणिक संस्थानों के समक्ष चुनौती है कि क्या विदेशी छात्रों को स्कॉलरशिप के आधार पर ही नामांकन दिया जाए या विभिन्न क्षेत्रों में शानदार प्रदर्शन को लेकर उन्हें निमंत्रण दिया जा सकता है। उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के लिए भारत किफायती स्थान है।’

ईरानी ने कहा कि नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) के तहत चार अप्रैल को रैंकिंग जारी होगी और उन्होंने एमईए अधिकारियों से कहा कि विदेशी छात्रों तक पहुंच के लिए इस आंकड़े का प्रयोग करें। शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘इस रैंकिंग के लिए 3600 उच्च शिक्षण संस्थानों ने अपने आंकड़े मुहैया कराए हैं।’ उन्होंने आइआइटी काउंसिल के प्रस्ताव का भी जिक्र किया जिसमें विदेशों में आठ स्थानों पर प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का प्रस्ताव है।

उन्होंने कहा, ‘विदेशी छात्रों की आवक बढ़ाने की आवश्यकता पर गौर करते हुए आइआइटी परिषद ने एकमत से निर्णय किया कि दक्षेस देशों सहित आठ देशों के छात्रों को 2017 में आइआइटी-जेईई परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए।’ ईरानी ने कहा कि प्रतिभाशाली विदेशी छात्रों तक पहुंच बनाई जा रही है ताकि जिन्हें वित्तीय सहयोग की जरूरत नहीं है, उन्हें भारत में किफायती तकनीकी शिक्षा दी जा सके। ईरानी ने कहा, ‘एमईए के साथ जुड़ाव में उनका मंत्रालय सांस्कृतिक कूटनीति को महत्त्व देता है।’

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने शिक्षा कूटनीति के माध्यम से इसे बढ़ावा दिया है। मुझे उम्मीद है कि यह शैक्षणिक कूटनीति उस कूटनीति का हिस्सा है जो हमें समय के साथ और मजबूत करेगा।’ भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् के प्रमुख लोकेश चंद्रा ने कहा कि आइसीसीआर हर वर्ष करीब 3350 छात्रवृत्तियां अंतरराष्ट्रीय छात्रों को देता है जो भारत में विभिन्न विषयों की पढ़ाई करना चाहते हैं।