दीपक रस्तोगी
रूस के बाद भारत अब जापान के साथ सैन्य और खुफिया सहयोग बढ़ाने की तैयारी में है इस साल के आखिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान जाएंगे। उनके इस दौरे में वहां के प्रधानमंत्री शिन्जो एबे के साथ शिखर वार्ता में कुछ ऐसे करार पर दस्तखत की तैयारी है, जिनके दूरगामी परिणाम होंगे। कूटनीतिक और आर्थिक- दोनों ही मोर्चे पर। दरअसल, चीन को ध्यान में रख कर भारत व जापान के राजनयिक शिखर वार्ता के मसविदे को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। चीन के साथ जापान की कूटनीतिक प्रतिद्वंद्विता जगजाहिर है। ऐसे में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के इलाकों में विभिन्न सैन्य-असैन्य परियोजनाओं को लेकर भारत और जापान- दोनों ही चीन की बढ़ती कवायद से चिंतित हैं। राजनयिक सूत्रों के अनुसार, नरेंद्र मोदी के तोक्यो दौरे में तीन बड़े आर्थिक करार और सैन्य-खुफिया सुरक्षा से जुड़े दो करार के मसविदे पर काम चल रहा है। आर्थिक सहयोग का आधार इंडो जापान कॉप्रिहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (सिपा) को बनाया जाएगा। इसके तहत भारत में 21 औद्योगिक शहर विकसित करने और हाई स्पीड रेल नेटवर्क परियोजना और बंगाल की खाड़ी में 15 मेगावाट का डीजल विद्युत केंद्र बनाने के करार की तैयारी है। तीनों परियोजना करोड़ों डॉलर की हैं। जहां तक सैन्य और खुफिया सहयोग की बात है, भारत और जापान की सेना के साझा युद्धाभ्यास (थल और नौसेना) का नियमित सालाना शिड्यूल बनाया जाना है। आतंकवाद पर खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
पूर्व विदेश सचिव शशांक के अनुसार, ‘कूटनीति में स्थाई तौर पर मित्र या शत्रु भाव नहीं होता। चीन के साथ जापान की भी कूटनीतिक प्रतिद्वंद्विता है। उम्मीद है, आतंकवाद जैसे मसले पर ब्रिक्स देशों की बैठक में चीन के अड़ियल रवैए का जापान भी विश्लेषण करेगा। उसे भारत के एजंडे का साथ देना चाहिए।’ जापान ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं।’ नरेंद्र मोदी के अगले दौरे को लेकर जापानी राजदूत केंजी हीरामात्शु ने मीडिया से बातचीत में साफ कहा, ‘हम हर तरह का सहयोग बढ़ाने को तैयार हैं। प्रधानमंत्री मोदी का दौरा भारत-जापान संबंधों को आगे ले जाएगा।’ नवंबर के आखिर में नरेंद्र मोदी का जापान दौरा प्रस्तावित बताया जा रहा है।’ भारत चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सदस्यता के लिए जापान भी पक्ष में लॉबिंग करे। इस बारे में तोक्यो से सकारात्मक संकेत मिले हैं। परमाणु ऊर्जा सहयोग समझौते को लेकर फिलहाल जापानी कूटनीतिकों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। इस बारे में जापान में एकराय नहीं बन पा रही है, लेकिन बंगाल की खाड़ी में मलक्का प्रायद्वीप पर सैनिक अड्डा बनाने की चीन की तैयारियों के मद्देनजर दोनों देश अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हो जाएंगे।