500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को लेनदेन से बाहर करने के हफ्ते भर बाद ही आयकर विभाग हरकत में आ गया और देश भर में विभिन्न कंपनियों और संस्थाओं पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। विमुद्रीकरण के एलान के हफ्ते भर बाद ही विभिन्न शहरों में मोटी रकम जमा करने वालों को नोटिस मिलने शुरू हो गए हैं। उनसे धारा 133 (6) के तहत आय के स्रोत की जानकारी मांगी है। इसके साथ ही शैक्षणिक सहित अन्य विभिन्न संस्थाओं को नोटिस भेजकर उनसे 31 मार्च 2016 से लेकर आठ नवंबर 2016 तक का लेखा-जोखा भी मांगा गया है।

पूर्वी सिक्किम स्थित गंगतोक में एक कंपनी को आयकर विभाग ने 18 नवंबर को नोटिस भेजा है कि वह जांच के दायरे में है। विभाग ने अपने नोटिस में कहा है कि ऐसा विमुद्रीकरण के एलान के बाद खातों पर नजर रखने के बाद किया जा रहा है। आयकर विभाग की सिलीगुड़ी शाखा के डिप्टी डायरेक्टर के भेजे नोटिस में साफ बताया गया है कि कंपनी ने 13 नवंबर को स्टेट बैंक आॅफ सिक्किम में 4 लाख 51 हजार रुपए जमा किए हैं। कंपनी को आदेश दिया गया है कि वह इस मामले में आयकर विभाग के स्थानीय दफ्तर में 25 नवंबर तक आकर अपना पक्ष रखे। नोटिस में कंपनी को कहा गया है कि वह बैंक में जमा कराए अपने पैसे का स्रोत बताने के लिए उससे संबंधित दस्तावेजों के साथ आए। कंपनी को अपनी खाता पुस्तिका के साथ उन बिलों, वाउचर या दस्तावेजों को लाने के लिए कहा गया है जो जमा कराए पैसों के स्रोत की जानकारी दे सके। इसके साथ ही कहा गया है कि कंपनी को अपने करों के मूल्य निर्धारण के लिए पिछले दो सालों में दाखिल की गई आइटीआर की कॉपी भी फाइल करनी होगी।वहीं आयकर विभाग ने शैक्षणिक व अन्य संस्थाओं को भेजे नोटिस में कहा है कि वे आठ नवंबर के बाद से किसी भी पुरानी करंसी में लेनदेन नहीं करसकते हैं सिवा इन्हें बैंक के खातों में जमा करने के।

इसके साथ ही संस्थाओं को यह भी कहा गया है कि 30 दिसंबर 2016 के बाद आपके खाते में जमा धनराशि की जांच की जाएगी। इसके साथ ही संस्थाओं को कहा गया है कि वे 31 मार्च 2016 से लेकर आठ नवंबर तक के अपने खातों की स्थिति को भी बैंक में जमा करें। इस नोटिस के बाद शैक्षणिक और अन्य संस्थाओं में हड़कंप मच गया है, क्योंकि वे विमुद्रीकरण के एलान के बाद भी यह सोच पुरानी करंसी में फीस आ अन्य भुगतान ले रहे थे कि इसे बाद में बैंकों से बदल लिया जाएगा। लेकिन यह नोटिस मिलने के बाद से स्कूल और अन्य संस्थानों ने पुरानी कंरसी में फीस लेने से इनकार कर दिया है और इससे अभिभावकों की भी परेशानी बढ़ गई है।वहीं सरकार के विमुद्रीकरण के एलान के बाद निष्क्रिय पड़े जनधन खातों में भी पैसे जमा करने के मामले सामने आए हैं। एसबीआइ के एक सूत्र का कहना है कि यह सही है कि जनधन खातों में पैसे जमा किए जा रहे हैं। लेकिन अभी इसका आंकड़ा देना संभव नहीं है। लेकिन आयकर विभाग इन खातों पर भी नजर रख रहा है। इसके साथ ही उन किसानों के खातों पर भी नजर रखी जा रही है जिनमें अचानक से मोटा धन जमा हुआ है। बैंक मोटी रकम जमा होने वाले खातों का ब्योरा लगातार आयकर विभाग को भेज रहे हैं।

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