केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी कनेक्शन लेने के लिए हुगली में रहने वाली ममोनी सरदार (23) ने टीएमसी के स्थानीय नेता को 500 रुपए दिए थे। उन्होंने बताया, ‘‘मुझे लगा कि यह कनेक्शन की कीमत है, लेकिन अब जानकारी मिली है कि मुझे इस योजना के लिए पैसे का भुगतान करने की जरूरत ही नहीं थी। सिस्टम को लेकर मैं नाराज हूं और अब अपना पैसा वापस पाना चाहती हूं।’’ ऐसे में ममोनी ने महिलाओं के ग्रुप के साथ एकजुट होकर नुनियादंगा गांव में प्रदर्शन किया। उनका दावा है कि टीएमसी के 2 स्थानीय नेताओं सुभाष बिस्वास व शिखा मजूमदार ने गैस कनेक्शन दिलाने के नाम पर सभी महिलाओं से 500-600 रुपए लिए थे। दोनों ही नेता अब लापता हैं।

इन महिलाओं का गुस्सा उस ‘कट मनी’ या कमीशन की निशानी है, जो टीएमसी के नेता केंद्र व राज्य की सरकारी योजनाओं को दिलाने के नाम पर लेते हैं। इससे बंगाल के ग्रामीण इलाके खासकर पूर्वी बर्धमान, बीरभूम, हुगली, मालदा, मुर्शिदाबाद, कूचबिहार और उत्तरी दिनजापुर काफी ज्यादा परेशान हैं।

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इंडियन एक्सप्रेस ने मंगलवार (2 जुलाई) को पड़ताल की और देखा कि राज्य में लेफ्ट का शासन खत्म होने और 2011 में टीएमसी का राज शुरू होने के बाद कमीशनखोरी का खेल किसी तरह बढ़ता चला गया। बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी की धूमिल हो रही छवि बचाने के लिए नेताओं से लोगों का पैसा लौटाने के लिए कहा था, जिसके बाद आम जनता ने अपने पैसा मांगना शुरू कर दिया है। बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे घोषित होने के बाद टीएमसी पश्चिम बंगाल में बीजेपी से कड़ी चुनौती का सामना कर रही है।

इंडियन एक्सप्रेस ने हुगली, बर्धमान और बीरभूम के करीब 12 गांवों के लोगों से बात की। सिस्टम के प्रति इन लोगों में काफी नाराजगी व निराशा नजर आई। उन्होंने बताया कि बंगाल में योजना के हिसाब से कमीशन तय है, जो 200 रुपए से 25 हजार रुपए तक है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि अपने परिवार में मौत होने पर विलाप कर रहे लोगों को भी नहीं बख्शा जाता है। राज्य सरकार ने समबाथी योजना शुरू की थी, जिसमें अंतिम क्रिया कर्म के लिए 2 हजार रुपए की आर्थिक मदद मुहैया कराई जाती है। इसमें भी ‘कट मनी’ के रूप में 200 रुपए देने पड़ते हैं।

गांव वालों, स्थानीय लोगों और टीएमसी के कुछ नेताओं ने बताया कि अलग-अलग योजनाओं के हिसाब से अलग-अलग कमीशन तय है। उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी कनेक्शन लेने पर लाभार्थी को 500-600 रुपए देने पड़ते हैं। बंगलार बारी (प्रधानमंत्री आवास योजना) के तहत मकान बनाने के लिए 1.20 से 1.35 लाख तक की मदद मिलने पर 10 से 25 हजार रुपए कमीशन देना होता है। निर्मल बांग्ला (स्वच्छ भारत मिशन – ग्रामीण) के तहत टॉयलेट बनवाने के लिए 12 हजार रुपए मिलते हैं, जिस पर लाभार्थी को 900 से 2 हजार रुपए तक देने होते हैं। इसके अलावा मनरेगा के तहत जॉब कार्ड होल्डर को रोजाना 20 से 40 रुपए का कमीशन देना पड़ता है। जैसे ही लाभार्थी के खाते में पैसा पहुंचता है, एक सुपरवाइजर कट मनी ले लेता है।

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टीएमसी का कहना है कि उसकी पार्टी के सभी नेताओं में से महज 0.1 प्रतिशत नेता ही इस तरह की गतिविधियों में संलिप्त हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई भी की गई है। साथ ही, पार्टी ने ऐसे मामलों में लोगों की शिकायत सुनने के लिए ग्रीवांस सेल भी बनाई है। टीएमसी के राज्य स्तरीय नेताओं ने बीजेपी पर इस मसले को लेकर लोगों को भड़काने का आरोप लगाया है। टीएमसी के वरिष्ठ नेता स्वपन देबनाथ ने कहा, ‘‘बीजेपी हमारी पार्टी के ईमानदार नेताओं और जनप्रतिनिधियों के घरों के बाहर प्रदर्शन करके राज्य में अशांति पैदा करने की कोशिश में है। हम राजनीतिक लड़ाई लड़ेंगे।’’