पिछले चुनाव नतीजे
2014 का लोकसभा चुनाव भी टिहरी राजघराने की रानी माला राज्य लक्ष्मी शाह ने जीता था। उन्होंने चार लाख 46 हजार 733 वोट हासिल किए थे और तब उन्हें नरेंद्र मोदी लहर के कारण 57.50 फीसद वोट मिले थे ,जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार देश के दिग्गज नेता हेमवती नंदन बहुगुणा के पोते साकेत बहुगुणा बुरी तरह हारे थे। कांग्रेस ने इस सीट पर दो लाख 54 हजार 230 वोट मिले थे। कांग्रेस को कुल 32.72 फीसद वोट पड़े थे। 2009 में इस सीट पर कांग्रेस के विजय बहुगुणा ने दो लाख 63 हजार 83 वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस को तब 45.04 फीसद वोट पड़े थे। तब भाजपा 35.98 फीसद वोट हासिल कर पाई थी। तब भाजपा ने टिहरी राजघराने के वारिस की जगह निशानेबाज जसपाल राणा को चुनाव मैदान में उतारा था और उन्हें मुंह की खानी पड़ी। वे दो लाख दस हजार 144 वोट ही जुटा पाए थे।

इस बार रानी माला राज्य लक्ष्मी शाह के सामने जौनसार बावर चकराता क्षेत्र विधायक कांग्रेस के बड़े नेता प्रीतम सिंह हैं। प्रीतम सिंह 2002 से लगातार टिहरी संसदीय क्षेत्र के चकराता विधानसभा क्षेत्र से लगातार चार बार से कांग्रेस के विधायक हैं। वे नारायण दत्त तिवारी, विजय बहुगुणा और हरीश रावत सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे हैं। राहुल गांधी के निर्देश पर उन्हें टिहरी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया गया है। विभिन्न लोकसभा चुनावों में टिहरी राजघराने के वारिस कांग्रेस और भाजपा तथा निर्दर्लीय उम्मीदवार के रूप में इस लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते आए हैं। 1991 के लोकसभा चुनाव में टिहरी राजघराने ने भाजपा का दामन थामा।

भाजपा के टिकट पर राजा मानवेंद्र सिंह शाह चुनाव जीते। उनके निधन के बाद 2007 के उपचुनाव में भाजपा ने उनके बेटे यजुवेंद्र शाह को चुनाव मैदान में उतारा गया। वे कांग्रेस के उम्मीदवार विजय बहुगुणा से चुनाव हार गए। 2012 में विजय बहुगुणा के उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनने के बाद इस लोकसभा सीट पर फिर उपचुनाव हुआ और भाजपा ने फिर से टिहरी राजघराने पर उपचुनाव में भरोसा जताया और रानी माला राज्य लक्ष्मी शाह को चुनाव मैदान में उतारा और विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री रहते हुए उनके बेटे साकेत बहुगुणा लोकसभा का उपचुनाव हार गए। अभी विजय बहुगुणा और साकेत बहुगुणा भाजपा में हैं। विजय बहुगुणा ने भी इस सीट पर भाजपा से इस बार टिकट मांगा था, परंतु भाजपा आलाकमान ने बहुगुणा परिवार की बजाय माला राज्य लक्ष्मी शाह पर ज्यादा भरोसा जताया। इस तरह वे तीसरी बार इस सीट पर चुनाव लड़ रही हैं। राज्य लक्ष्मी के मुकाबले में प्रीतम सिंह पहली दफा लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। प्रीतम सिंह का परिवार 1951 से इस क्षेत्र में राजनीतिक रूप से सक्रिय है। उनके पिता गुलाब सिंह आजादी के बाद इस क्षेत्र में हुए विधानसभा चुनावों में चकराता और मसूरी क्षेत्र से आठ बार विधायक रहे । उनके निधन के बाद प्रीतम सिंह ने उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया।

12 विधानसभाओं पर भाजपा का कब्जा
टिहरी संसदीय क्षेत्र की 14 विधानसभाओं में से 12 विधानसभाओं पर भाजपा का कब्जा है। चकराता विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर प्रीतम सिंह 2017 का विधानसभा चुनाव जीते थे, जबकि धनोल्टी विधानसभा क्षेत्र से निर्दर्लीय उम्मीदवार के तौर पर प्रीतम सिंह पंवार विधायक का चुनाव जीते थे। टिहरी संसदीय क्षेत्र उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के तीन जिलों देहरादून, टिहरी और उत्तरकाशी में फैला हुआ है। 14 विधानसभा क्षेत्रों में से छह विधानसभाएं मैदानी क्षेत्रों में है, जिनमें आठ लाख वोटर हैं। इस लोकसभा सीट में पवर्तीय क्षेत्रों में आठ विधानसभा क्षेत्र शामिल है। टिहरी संसदीय क्षेत्र में पुरोला,यमुनोत्री, गंगोत्री ,घनसाली, प्रताप नगर, टिहरी, धनोल्टी, चकराता, विकास नगर, सहसपुर, रायपुर, राजपुर ,देहरादून कैंट और मसूरी विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इस लोकसभा सीट में 14 लाख 81 हजार 194 वोटर हैं। इनमें पुरुष 7 लाख 75 हजार 603, महिला 7 लाख 5 हजार 553 तथा 60 किन्नर मतदाता हैं।  14 विधानसभाओं में रायपुर विधानसभा में सबसे ज्यादा मतदाता 1 लाख 70 हजार 804 हैं और सबसे कम मतदाता पुरोला विधानसभा क्षेत्र में 69 हजार 927 है। टिहरी लोकसभा सीट पर 45 फीसद ठाकुर, 30 फीसद ब्राह्मण, 17 अनुसूचित जनजाति और जनजाति तथा आठ फीसद अन्य जातियों के मतदाता हैं। नेपाली मूल के गोरखा मतदाता अच्छी तादाद में हैं। रानी राजलक्ष्मी शाह नेपाली मूल के राजघराने की बेटी हैं।

मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए लोकसभा का चुनाव लड़ रही हूं ,क्योंकि उनके लोकसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री ने हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं दी हैं। इससे रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। सालों से लटकी लखवाड़ जल विद्युत परियोजना फिर से शुरू हुई। मेरे सामने राजनीतिक रूप से कोई चुनौती नहीं है। मैं महिला सशक्तिकरण पर हमेशा जोर देती रही हूं और आगे भी जोर देती रहूंगी। -रानी राज्य लक्ष्मी शाह, सासंद और भाजपा उम्मीदवार

जनता ने जिन्हें अब तक प्रतिनिधित्व दिया, वे संसद में मौन रहीं। मैं सांसद बनने पर मौन नहीं रहूंगा बल्कि टिहरी की आवाज मजबूत ढंग से लोकसभा में उठाई जाएगी। ग्रीन बोनस उत्तराखंड को मिले इसकी लड़ाई हम सदन में लड़ेंगे। उत्तराखंड के पर्वर्तीय क्षेत्रों से पलायन रुके और वहां कुटीर उद्योगों का जाल बिछाया जाए, यह मेरी पहली प्राथमिकता होगी। मेरे परिवार ने लंबे समय तक टिहरी संसदीय क्षेत्र की जनता की सेवा की है। मेरी मजबूत राजनीतिक विरासत है और मैं हमेशा जनता से सीधे जुड़ा रहा हूं। मैं कोई राजा या रानी नहीं हूं। मेरे सामने कोई बड़ी राजनीतिक चुनौती नहीं हैं और हमेशा की तरह मुझे जनता का भरपूर प्यार मिलता रहेगा। -प्रीतम सिंह , कांग्रेस के उम्मीदवार