भाजपा को गुजरात में बड़ी राजनीतिक सफलता हासिल हुई है। स्थानीय निकाय चुनावों में भावनगर जिला पंचायत भाजपा के हाथ से निकल गई थी। यह सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। यह सीट अब भाजपा के खाते में चली गई है। यह उपचुनाव से नहीं, बल्कि कांग्रेसी सदस्यों के पाला बदलने से संभव हुआ है। दरअसल, जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होना था। कांग्रेस के दो सदस्यों ने पाला बदल लिया, जबकि एक सदस्य ने वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया। इस तरह भावनगर जिला पंचायत सीट पर एक बार फिर से भाजपा का कब्जा हो गया है। वर्ष 2015 के स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस ने भावनगर सीट पर जीत हासिल की थी। वहीं, राजकोट जिला पंचायत में भी बदलाव हुआ है। कांग्रेस की अल्पा खटेरिया को नया अध्यक्ष चुना गया है। निलेश विरानी ने इस पद पर ढाई साल तक रहने के बाद पद छोड़ा था। इसके बाद सत्ता में साझेदारी के करार के तहत राजकोट जिला पंचायत के अध्यक्ष का पद कांग्रेस के पास गया है।
Congress loses power in Bhavnagar district panchayat as two of its members defect to BJP while third one abstains from voting at election to the posts of president and vice-president of the panchayat. Cong had ousted BJP from the panchayat in 2015 general election @IndianExpress
— Gopal Kateshiya (@gopalreports) June 20, 2018
Alpa Khatariya of Congress elected new president of Rajkot district panchayat. She replaces incumbent Nilesh Virani who completed his 2-and-a-half-year tenure. Apla is wife of Arjun Khatariya, president of outgoing executive committing of the district panchayat. @IndianExpress
— Gopal Kateshiya (@gopalreports) June 20, 2018
साल के शुरुआत में गुजरात में नगर निकाय के चुनाव हुए थे। सत्तारूढ़ बीजेपी ने कुल 75 में से 47 सीटों पर कब्जा किया था। वहीं, कांग्रेस के खाते में 16 सीटें गई थीं। छह सीटों पर किसी को भी बहुमत प्राप्त नहीं हुआ था, जबकि छह अन्य सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। बता दें कि इसमें नगर निगम, नगर पालिका, जिला पंचायत और तालुका पंचायतों के लिए चुनाव कराए गए थे। वर्ष 2013 में बीजेपी ने 79 नगर निकायों में 59 पर जीत दर्ज की थी। उस वक्त कांग्रेस को 11 सीटें मिली थीं, लेकिन बाद में वह उनमें से पांच सीटें विपक्षी पार्टी के हाथ से निकल गई थी। कांग्रेस के जीते हुए प्रत्याशी भाजपा में जा मिले थे। इससे ठीक पहले दिसंबर 2017 में विधानसभा के चुनाव हुए थे, जिसमें भाजपा ने लगातार छठवीं बार राज्य की सत्ता में वापसी की थी। हालांकि, बीजेपी को सौ से भी कम सीटें (99) प्राप्त हुई थीं। पूरा विपक्ष एकजुट होकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा था, इसके बावजूद पार्टी ने जीत हासिल की थी। विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस दोनों की साख दांव पर लगी थी, लेकिन भाजपा सत्ता में वापसी करने में सफल रही थी।