2019 लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार, खासकर मगध परिक्षेत्र में नक्‍सली कोहराम मचा सकते हैं। जिसके मद्देनजर सुरक्षा बलों ने तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन अब तक कोई बहुत बड़ी कामयाबी नहीं मिली है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिहार-झारखंड कमेटी में कमांडर प्रद्युम्‍न शर्मा का दस्‍ता सक्रिय हो चुका है और उसे बाहरी ताकतों से पूरी मदद मिल रही। प्रद्युम्‍न हाल-फि‍लहाल आंध्र प्रदेश गया हुआ था, जहां वह उच्‍च स्‍तरीय बैठक में शामिल हुआ। उस बैठक में चुनाव के दौरान वारदातों की रणनीति बनी थी। बताते हैं कि वहां प्रद्युम्‍न को हथियार और कारतूस आदि भी मिले, जिनके बारे में आशंका है कि वे पाकिस्‍तान से हिंदुस्‍तान में पहुंचाए गए हैं।

24 जनवरी को हुई थी मुठभेड़: 24 जनवरी को नवादा जिला में रजौली के रतनपुर जंगल में सर्च ऑपरेशन के दौरान अर्द्धसैनिक बलों से नक्‍सलियों की मुठभेड़ हुई थी। जिसमें एक नक्‍सली ढेर हुआ था, 27 जनवरी को शिनाख्‍त में पता लगा कि वो नक्सली चंदन प्रसाद था। नालंदा जिला में इस्लामपुर थाना क्षेत्र के खंगड़ी बिगहा गांव निवासी दीना यादव का पुत्र। रविवार देर शाम भाई रमेश कुमार और फूफा रामस्वरूप यादव ने उसकी शिनाख्त की। शव उनके हवाले कर दिया गया। उनके साथ नालंदा जिला में इस्‍लामपुर की पुलिस भी आई थी। एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि दाह-संस्‍कार हो जाने के बाद चंदन के परिजनों के साथ पूछताछ की जाएगी।

खोखा है पुलिस के सामने सबसे बड़ी मुसीबत: दरअसल, पुलिस के लिए अभी सबसे बड़ी गुत्‍थी एक खोखा है, जिस पर उर्दू में कुछ लिखा हुआ है। वह खोखा 26 जनवरी को रतनपुर जंगल में सबसे ऊंची पहाड़ी की चोटी पर सर्च ऑपरेशन के दौरान बरामद हुआ। बता दें कि ये खोखा एके- 47 रायफल का है। पूरी आशंका है कि यह पाकिस्‍तान निर्मित है, क्‍योंकि हिंदुस्‍तान में बनाए जाने वाले कारतूस पर नंबर आदि अंग्रेजी में लिखे होते हैं। नवादा जिला में एएसपी कुमार आलोक कहते हैं कि इस खोखे की बरामदगी के बाद नक्सलियों के आइएसआइ कनेक्शन से इनकार नहीं किया जा सकता। प्रद्युम्‍न शर्मा कई दिनों तक आंध्र प्रदेश में रहकर नक्‍सली संगठन की गतिविधियों की रणनीति तैयार करने के बाद लौटा है। आंध्र प्रदेश के शीर्षस्थ नक्सली नेताओं का आतंकी संगठन से भी नाता होता है। ऐसे में उम्मीद है कि प्रद्युम्न को आतंकी संगठनों ने हथियार और कारतूस मुहैया कराया है।

जंगल में मिला मंगलसूत्र: पुलिस ने बताया कि 24 जनवरी को रतनपुर जंगल में घुसते ही नक्सलियों ने अचानक फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में एक नक्सली ढेर किया गया और दूसरा गिरफ्तार। बाकी के भाग निकले। मौके से मैगजीन लोडेड एक इंसास रायफल और काफी मात्रा में कारतूस की बरामदगी हुई थी। वहीं सर्च ऑपरेशन के दौरान रविवार को जंगल से एक मंगलसूत्र बरामद हुआ था। जिसके चलते सुरक्षा बलों को आशंका है कि वह प्रद्युम्‍न की प्रेमिका का हो सकता है। रजौली के एसडीपीओ संजय कुमार बताते हैं कि इस आधार पर नक्सली कमांडर प्रद्युम्न शर्मा के दस्ते के साथ जंगल में डेरा डाले होने की आशंका बरकरार है।

नक्सलवाद के जानकर मनोज कुमार का क्या है कहना: नक्‍सलवाद के जानकार मनोज कुमार सिन्‍हा कहते हैं कि सुरक्षाबलों ने औरंगाबाद के देव में हुए हादसे से सबक लिया था। गौरतलब है कि पिछले साल 30 दिसंबर को औरंगाबाद जिला के देव में भाजपा के विधान पार्षद राजन सिंह के घर नक्सलियों के हथियारबंद दस्ते ने हमला किया था। दरअसल, चुनावी साल में नक्‍सलियों का उत्‍पात चरम पर होता है। अभी तक का तो यही रिकॉर्ड है, खासकर औरंगाबाद में। नवादा की तरह औरंगाबाद भी मगध प्रमंडल का एक जिला है।

लोकसभा चुनाव में एक्टिव होते हैं नक्सल: 17 अक्टूबर, 2013 को भाकपा माओवादी की मगध जोनल कमेटी ने एक बयान जारी कर हथियारबंद आंदोलन तेज करने की अपील की थी। उसके तत्काल बाद औरंगाबाद में लैंड माइंस विस्फोट हुआ। रणवीर सेना के पूर्व कमांडर सुशील पांडेय सहित सात लोग मा‍र दिए गए। उससे पहले 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी नक्सली उत्‍पात से बाज नहीं आए। तब सांसद सुशील कुमार सिंह को नक्सली संगठनों द्वारा धमकी दिए जाने की खबरें मिली थीं।

2010 में हुए थे 307 हमले: 2010 में बिहार विधानसभा का चुनाव हुआ था। उस साल नक्सलियों ने 307 हमले किए। वहीं 2004 के बाद वह सर्वाधिक हमलों का रिकॉर्ड है। 2005 में दो बार विधानसभा के चुनाव हुए और उस साल नक्सलियों द्वारा 183 हमले किए गए थे। तब 27 पुलिसकर्मियों के अलावा 94 लोगों की जान गई थी। इसके साथ ही 2010 में 97 लोग नक्सली हिंसा के शिकार हुए। इस साल अप्रैल-मई में लोकसभा का चुनाव होना है। गिनती के दिन बचे हैं, ऐसे में नक्सलियों की बेताबी समझी जा सकती है।

2004: 323 हमले, 171 मौतें
2005: 183 हमले, 94 मौतें
2009: 232 हमले, 72 मौतें
2010: 307 हमले, 97 मौतें
2014: 163 हमले, 32 मौतें
2015: 109 हमले, 17 मौतें
2016: 129 हमले, 28 मौतें
2017: 99 हमले, 22 मौतें
(स्रोत : केंद्रीय गृह मंत्रालय)

25 जनवरी को गिरफ्तार हुए 6 नक्सली: इसी बेचैनी का नतीजा है कि नक्‍सली गणतंत्र दिवस के विरोध का खुला एलान किए। गया में सरकारी कार्यालयों और आम जनता के घरों की दीवारों पर पोस्‍टर चिपकाते छह नक्‍सली 25 जनवरी को गिरफ्तार किए, जिन्‍हें 26 जनवरी को जेल भेज दिया गया। गया मगध प्रमंडल का मुख्‍यालय है और इसी जिला में अंतरराष्‍ट्रीय महत्‍व वाला बोधगया भी है, जहां महाबोधि मंदिर के परिक्षेत्र में आतंकी बम विस्‍फोट कर चुके हैं। सूत्र बताते हैं कि आतंकियों को वहां तक पहुंचने में मदद करने वाले कुछ नक्‍सली भी थे। इसी कारण उस खोखा की बरामदगी के बाद सुरक्षा बलों के कान खड़े हो गए हैं, जिस पर उर्दू में कुछ लिखा हुआ है।