राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी थमाकर बड़ा दांव चला है। कांग्रेस अध्यक्ष के इस फैसले को राजनीतिक हलकों में मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है। कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला का कहना है कि इससे कांग्रेस यूपी में ही नहीं बल्कि देशभर में फिर से उठ खड़ी होगी। लेकिन सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी ने प्रियंका को राजनीति में उतारने में देर कर दी? क्योंकि, जिस प्लान और स्ट्रैटेजी के तहत पूर्वी यूपी में प्रियंका को उतारा जा रहा है उसकी चर्चा प्रशांत किशोर ने 2016 में की थी और इसी प्लान-स्ट्रैटेजी को आगे रखकर उन्होंने कांग्रेस के लिए यूपी में प्रचार शुरू किया था जो कि सपा के साथ गठबंधन के बाद डिरेल हो गया था।
कैसे हुई प्रियंका को यूपी की राजनीति में लाने की तैयारी?
बिहार विधानसभा चुनाव के बाद प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के लिए चुनावी प्रचार का जिम्मा संभाला और उन्होंने यूपी और पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए रणनीति बनानी शुरू की। ऐसा कहा जाता है कि 2016 जुलाई-अगस्त के दौरान उनकी कई बार राहुल-प्रियंका गांधी से यूपी में प्रचार को लेकर मुलाकात हुई। इसी के बाद उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के लिए यूपी के देवरिया में खाट पर चर्चा जैसे प्रोग्राम की डिजाइनिंग की। किसान यात्रा और कर्ज माफी की स्ट्रैटेजी को आगे रखा। यूपी में ब्राह्मण मतदाओं को लुभाने के लिए शीला दीक्षित को सीएम कैंडिटेट बनाने का ऐलान भी इसी प्लान के तहत हुआ था। यही नहीं, 27 साल यूपी बेहाल का नारे के साथ चुनाव में प्रियंका को बतौर लीडर उतारने की तैयारी थी। प्रियंका काफी हद तक इसके लिए तैयार भी थीं लेकिन कहा जाता है कि आखिरी वक्त में कांग्रेस ने सपा से गठबंधन कर लिया जिसके बाद प्रशांत किशोर की भूमिका ज्यादा रह नहीं गई।
प्रशांत किशोर ने प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री पर ट्वीट करते हुए कहा- भारतीय राजनीति में बहु प्रतीक्षित एंट्री। लोग समय, रोल और पोजिशन को लेकर बात कर सकते हैं लेकिन मेरे लिए असली खबर यह है कि उन्होंने (प्रियंका) ने आखिरकार एंट्री का फैसला लिया।
It was a long cherished demand of INC workers that have been fulfilled with Smt. #priyankagandhi Ji joining @INCIndia as General Secretary AICC.Congress will resurrect & rejuvenate under the able & dynamic, combined leadership of Shri @RahulGandhi Ji & Smt Priyanka Gandhi Ji .
— Abhijit Mukherjee (@ABHIJIT_LS) January 23, 2019
यूपी से ही प्रियंका की शुरुआत क्यों?
यूपी में प्रियंका को लाने की मांग लंबे समय से कांग्रेस के अंदर-बाहर होती रही है। 2016, 2017 में कई बार इलाहाबाद-फूलपुर जैसे इलाकों में प्रियंका के समर्थन में पोस्टर भी लगाए जा चुके हैं। कांग्रेस ने यूपी विधानसभा में जब अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी की थी उस वक्त प्रियंका को लाने की बात फाइनल थी। बता दें कि रायबरेली सीट पर सोनिया गांधी के प्रचार-प्रसार का जिम्मा प्रियंका गांधी लंबे समय से देखते आईं हैं। इलाहाबाद से लेकर रायबरेली तक की सीटों पर कांग्रेस परिवार के सदस्य चुनाव लड़ते रहे हैं, इस कारण प्रियंका को पूर्वी हिस्से की जिम्मेदारी दी गई है जहां उनकी मौजूदगी का असर पड़ सकता है। 2013-2014 में भी कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इलाहाबाद में पोस्टर लगाकर प्रियंका गांधी को कांग्रेस में शामिल करने की मांग की थी। उन्हें संगठन का महासचिव बनाए जाने की मांग तक रखी गई थी।