उत्तर प्रदेश के झांसी के कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने एक बैठक के दौरान निर्णय लिया है कि जिस शादी में डीजे बजेगा, उस शादी में वह निकाह कराने के लिए शरीक नहीं होंगे। झांसी के प्रेम नगर में एक मैरिज हॉल में बैठक के दौरान मुस्लिम धर्मगुरुओं ने फैसला किया कि जिस शादी में डीजे, डांस ,बारात चढ़ाना या ढोल बजाया जाएगा, उस शादी में कोई भी इमाम निकाह नहीं पढ़ाएंगे।
बैठक में काज़ी मुफ्ती सागर अंसारी ने कहा कि शादी में डीजे डांस या ढोल बजाना सब हराम है और इस्लाम में इनका कोई स्थान नहीं है। जो व्यक्ति इन सब चीजों को पालन करता है, उनके दिल में ना तो नबी हजरत मोहम्मद के लिए मोहब्बत है, ना ही उसके दिल में ईमान है। काजी मुफ्ती ने कहा कि अगर मुस्लिम उलेमाओं के कहने पर भी यह कार्य नहीं रुके तथा लोगों ने अपनी मनमानी जारी रखते हुए इस्लाम के खिलाफ कार्य किया, तो उलेमा खुद ही उसे रोकने का कार्य करेंगे।
काजी मुफ्ती ने आगे कहा कि जिन शादियों में भी इन सब रस्मों का पालन होगा, उन शादियों में उलेमा ना तो खाना खाएंगे ,ना ही निकाह पढ़ाएंगे। शादियों में इस प्रकार की कृतियों से गुनाह होना लाजमी है। ऐसे कृत्यों पर रोक लगाने के लिए कमेटियां गठित की जाएगी और कार्यक्रमों पर निगरानी रखी जाएगी।
बैठक के बाद झांसी शहर के जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मोहम्मद हाशिम ने कहा कि, “शादी में जो डीजे ढोल बजाए जाते हैं ,यह शरीयत में हराम है। इससे हमारा कोई ताल्लुक नहीं है। यह भी निर्णय लिया गया है कि जिस शादी में डीजे और बाजे बजेंगे, उस शादी में कोई भी इमाम निकाह नहीं पढ़ाएगा।”
पिछले साल दिसंबर में ऑल इंडिया सुन्नी उलेमा काउंसिल ने भी डीजे और आतिशबाजी को लेकर मुहिम शुरू की थी। कानपुर में एक शादी में निकाह पढ़ाने पहुंचे मौलाना मुस्ताक अहमद ने उस वक्त निकाह पढ़ाने से इनकार कर दिया था, जब शादी में डीजे और आतिशबाजी चल रही थी। इसके बाद दूल्हे के पिता ने माफी मांगी थी और फिर निकाह पढ़ाया गया था।