Indian Air Force Aerial Strike: पुलवामा हमले के बाद हरकत में आए भारत ने पाकिस्तान को मंगलवार को बड़ा सबक सिखाया है। बालाकोट में घुसकर भारतीय वायुसेना ने कड़ी कार्रवाई की है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस इलाके में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े ट्रेनिंग कैंप समेत कई आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये हमले लेजर (LASER) गाइडेड बमों से किए गए हैं। दावा किया जा रहा है कि यह कार्रवाई 12 मिराज-2000 विमानों से हमला किया गया है। भारत ने खुफिया जानकारी के आधार पर यह कार्रवाई की गई थी। यह कार्रवाई मंगलवार तड़के करीब साढ़े 3 बजे की गई है। कार्रवाई के दौरान आतंकी ठिकानों को पूरी तरह से खत्म करने के लिए 1000 किलो बम गिराए जाने की भी सूचना है।

क्यों खतरनाक है लेजर गाइडेड बमः लेजर तकनीक अंधेरे में लक्ष्य की रोशनी को ट्रेस करती है और फिर सिग्नल के जरिए दिशा और दूरी तय की जाती है। इसे खासतौर से वायुसेना के लिए ही बनाया गया है। आयरन बम को LGB किट की मदद से एक बड़े हथियार के रूप में बदला जाता है। लिटिंगेन पॉड और स्वदेशी LGB का मिश्रण दुश्मन के लिए बेहद घातक होता है। लेजर गाइडेड बम में सेमी एक्टिव लेजर का इस्तेमाल किया जाता है, इसमें लक्ष्य को भेदने की दक्षता अनगाइडेड बम की अपेक्षा काफी ज्यादा होती है। सटीकता के लिए अब इनमें जीपीएस का भी इस्तेमाल किया जाने लगा है।

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लेजर गाइडेड बम का इतिहासः लेजर गाइडेड बम का इस्तेमाल पहली बार 1999 में करगिल युद्ध के दौरान किया गया था। पुलवामा हमले का जवाब देते हुए भारत ने एक बार फिर यह हथियार इस्तेमाल किया है। उस समय भी मिराज-2000 का इस्तेमाल किया गया था। मिराज-2000 ऊंचाई से बम गिराने में माहिर है। भारत ने 2010 में पहली बार स्वदेशी लेजर गाइडेड बम ‘सुदर्शन’ तैयार किया था। दुनिया की ज्यादातर वायु सेनाएं लेजर गाइडेड बम का ही इस्तेमाल करती हैं। पहली बार 1960 के दशक में अमेरिका ने इसका निर्माण किया था। 1968 में वियतनाम युद्ध में इसका पहली बार इस्तेमाल किया गया था।