अजय पांडेय

सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य शीला दीक्षित ने कहा है कि उन्हें किसी से यह सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है कि वह और उनका परिवार कांग्रेस से कितनी मजबूती से जुड़े हैं। इतना ही नहीं, दीक्षित का यह भी कहना है कि अगर कुछ लोग उनके खिलाफ प्रचार में सक्रिय हैं तो उनकी यह जानने में भी दिलचस्पी नहीं है कि ऐसा करने वाले लोग कौन हैं। दरअसल, दिल्ली के पूर्व विधायक व बाबरपुर जिला कांग्रेस कमेटी के निवर्तमान अध्यक्ष भीष्म शर्मा ने बुधवार को पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को लिखी एक चिट्ठी में पूर्व मुख्यमंत्री दीक्षित पर लगातार पार्टी विरोधी बयानबाजी करने का आरोप लगाया। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि एक ओर सूबे के कांग्रेसी कार्यकर्ता मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं जबकि दीक्षित अपने बयानों में उन्हें मजबूत बता रही हैं। इसी तरह पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर वह राजग सरकार के पक्ष में खड़ी दिखती हैं। इतना ही नहीं वह ‘आप’ से गठबंधन की वकालत भी कर रही हैं।

शर्मा ने राहुल गांधी से मांग की है कि वे दीक्षित की बयानबाजी बंद कराएं और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करें। उन्होंने यह भी लिखा है कि पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से दो-दो बार सांसद रहे पूर्व मुख्यमंत्री दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित मध्य प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं तो उनके राजनीतिक सहयोगी रहे पवन खेड़ा अब राजस्थान की सियासत कर रहे हैं। इनका दिल्ली से अब कोई लेना-देना नहीं है। शर्मा पहले भी शीला के खिलाफ मोर्चा खोलते रहे हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल को लिखी गई चिट्ठी को लेकर पूछने पर दीक्षित ने कहा कि मेरे खिलाफ कौन लोग इस किस्म का प्रचार कर रहे हैं, यह जानने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। दूसरी ओर उन्हें किसी से यह भी सर्टिफिकेट नहीं लेना है कि वह स्वयं व उनका परिवार कांग्रेस से किस कदर जुड़े हुए हैं। उन्होंने इस आरोप को गलत करार दिया कि उन्होंने पार्टी के खिलाफ कोई बात कही है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि आखिर वह अपनी ही पार्टी के खिलाफ बयानबाजी क्यों करेंगी।

सूत्रों की मानें तो दिल्ली में डेढ़ दशक तक की सत्ता के बाद तीसरे पायदान पर पहुंच चुकी कांग्रेस के नेता अब आपस में ही भिड़ रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन द्वारा अपनी बीमारी का हवाला देकर इस्तीफा देने के बाद से ही नए अध्यक्ष की ताजपोशी को लेकर कयासों का दौर जारी है। माना जा रहा है कि 11 दिसंबर को पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस हाईकमान दिल्ली सहित कई अन्य प्रदेशों में बदलाव पर कोई निर्णय करेगा। माकन के बाद शीला दिल्ली में स्वाभाविक पसंद बताई जा रही हैं लेकिन अब उनके बयान को ही लेकर उन पर सियासी हमले शुरू हो गए हैं।