कर्नाटक के हुबली-धारवाड में ईदगाह की जमीन एक बार फिर से चर्चाओं में है। हाईकोर्ट ने यहां गणेशोत्सव के आयोजन की अनुमति दे दी है। इससे पहले 1994 में उमा भारती के नेतृत्व में 15 अगस्त को विश्व हिंदू परिषद समेत विभिन्न संगठनों ने झंडा फहराने की कोशिश की थी। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए फायरिंग की, जिसमें 6 लोग की मौत हो गई थी।
अब विश्व हिंदू परिषद ने फायरिंग के पीड़ित परिवारों को सम्मानित करने का फैसला किया है। इस सिलसिले में ही विहिप ने बालचंदर बराड़ से भी संपर्क किया, जिनका बेटा इस फायरिंग में मारा गया था। हालांकि, बालचंदर बराड़ ने सम्मान लेने से इन्कार कर दिया और कहा कि उन्हें राजनीति का मोहरा मत बनाइए।
हाइकोर्ट के आदेश के बाद रानी चेन्नम्मा मैदान गजानन उत्सव महामंडली में शामिल विहिप कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को ईदगाह मैदान में गणेश उत्सव मनाने के लिए एक मूर्ति की स्थापना की। इस दौरान उन्होंने 1994 फायरिंग के एक पीड़ित परिवार को सम्मानित किया।
बराड़ ने अपने बेटे मंजूनाथ को याद किया, जो 1994 में पुलिस फायरिंग में 12 साल की उम्र में मारा गया था। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए , कहा, “मंजूनाथ उस वक्त बाहर खेल रहा था जब उसने गोलियों की आवाज सुनी, तो वह घर में घुस गया। बाद में, उसने महसूस किया कि वह अपनी चप्पलें सड़क पर छोड़ आया है, चप्पल लेने के लिए वो बाहर गया और कभी वापस ही नहीं आ सका।” इसके बाद बराड़ का परिवार ईदगाह के पास अपना घर छोड़कर चला गया क्योंकि वो बेटे के साथ हुई इस घटना को भूल नहीं पा रहे थे।
बराड ने कहा, “राष्ट्रीय ध्वज फहराना हमारा अधिकार है और हमें ऐसा करने से रोकना अन्याय है। हम आज भी इस अन्याय के खिलाफ हैं, लेकिन, 15 अगस्त की गोलीबारी में मारे गए सभी लोग निर्दोष थे और किसी संगठन के सदस्य नहीं थे। अब इतने सालों के बाद, हमें बिना किसी पूर्व सूचना के सम्मान के लिए बुलाया जा रहा है। हम किसी और की राजनीति का मोहरा नहीं बनना चाहते हैं।”
वहीं, इस पर विहिप सदस्य सु कृष्णमूर्ति का कहना है कि संगठन राजनीति करने की कोशिश नहीं कर रहा हैा। उन्होंने कहा, “उन बहादुरों की मृत्यु को याद करना किसी भी तरह से राजनीतिक नहीं है। राष्ट्रीय ध्वज के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले कार्यकर्ताओं को याद करना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, हमने सम्मान समारोह की योजना तभी बनाई जब उच्च न्यायालय ने हमें गणेश की मूर्ति को जमीन पर स्थापित करने की अनुमति दे दी।”
उन्होंने कहा कि चूंकि गणेश उत्सव से एक दिन पहले अदालत का आदेश उनके पक्ष में आया, इसलिए उन्हें पीड़ितों के परिवारों का पता लगाने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला और दो पीड़ित परिवारों का ही पता लगा पाए। विहिप पुलिस फायरिंग में मारे गए मृतक प्रसन्ना रानाडे के बड़े भाई गोपाल राव रानाडे से मिले। हिंदू सेवा प्रतिष्ठान नामक संगठन के “सामाजिक कार्यकर्ता” नटराज रानाडे का कहना है कि उनके चाचा को सीने में गोली मारी गई थी।
नटराज ने कहा, “मेरे चाचा एक आरएसएस कार्यकर्ता थे और वह उन लोगों की मदद कर रहे थे जो गोलीबारी में घायल हुए थे। जब वह मैदान के पास उनके इलाज की व्यवस्था कर रहे थे, तो उन्हें गोली मार दी गई।” हुबली हिंसा 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हुई थी। बाबरी विध्वंस के बाद यहां हिंसा भड़क गई थी।