Himachal Pradesh Assembly Elections 2022 : चंबा जिले के एक अनुसूचित जाति आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र चुराह के तिसा में अटल चौक पर दैनिक हलचल जारी है – आसपास के दुकानदार अपने काम में व्यस्त हैं,छात्रों के समूह और कुछ अन्य लोग बस का इंतजार कर रहे हैं। दो साल पहले  तिस्सा में इस चौक का नाम पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया था। प्रधानमंत्री मोदी की कुछ तस्वीरें यहां लगी दिखाई दे रही हैं। जिसमें वह दो बार के स्थानीय भाजपा विधायक हंस राज के लिए फिर से वोट की अपील कर रहे हैं। हंस राज के खिलाफ कांग्रेस के यशवंत सिंह खन्ना हैं जो पहली बार मैदान में हैं और एक सरकारी शिक्षक हैं। उन्होने चुनाव लड़ने के लिए शिक्षक के पद से इस्तीफा दे दिया है।

अटल चौक के आसपास लगे पोस्टरों में मोदी ने चुराह की पारंपरिक पोशाक पहनी हुई है। इलाके में लगे वोट की अपील के इन  पोस्टेर्स पर लिखा है “चुराह के काम में मोदी, भोले के विश्वास में मोदी”

दंगे की मार झेल चुके इस इलाके का क्या मूड है ?

2017 के हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले कथित बलात्कार की घटना को सांप्रदायिक रंग दिए जाने के बाद हुई  हिंसा को देखने वाले शहर तिसा में मतदाताओं का मूड समझा जाना बहुत आसान नजर नहीं आता है। यहां तक ​​कि चौक के पास लगभग हर दुकान के बाहर भाजपा के झंडे लटके हुए हैं लेकिन यहां के मतदाता चुप नहीं हैं- लंबे समय से अधूरे पड़े विकास कार्यों और बुनियादी सुविधाओं की कमी पर गुस्से की अंतर्धारा स्पष्ट रूप से और एक साथ दिखाई दे रही है।

वाजपेयी के लिए सम्मान लेकिन भाजपा के पक्ष में नहीं हैं लोग

लोग दावा करते हैं कि वाजपेयी के लिए उनके मन में बहुत सम्मान है, लेकिन चुनावी मूड सत्तारूढ़ दल के पक्ष में नहीं है- मुख्य कारण स्थानीय मुद्दों को हल करने में विफलता है, बावजूद इसके कि चुराह से  लगातार दो बार भाजपा विधायक चुने गए हैं लेकिन वाजपेयी की प्रतिमा के पास खड़े होकर, मोहम्मद निजामुद्दीन ने चुटकी लेते हुए कहा, “वाजपेयी साहब एक नेता थे, उन्होंने लोगों के लिए काम किया … उन्होंने कभी भी विभिन्न समुदायों के लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ नहीं उकसाया। हम उनका सम्मान करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम सभी का सम्मान कर सकते हैं।

भाजपा सरकार में नहीं हुआ काम

स्थानीय सरकारी कॉलेज में बीए अंतिम वर्ष की छात्रा बबीता कहती है कि हमारे कॉलेज में कोई शिक्षक नहीं हैं। ज्यादातर समय लेक्चर  सिर्फ एक टाइम पास होता है। अध्यापकों की भर्ती के लिए विधायक से कई अनुरोध किए गए लेकिन पिछले वर्षों में कुछ भी नहीं हुआ। साइंस और कॉमर्स स्ट्रीम के लिए शिक्षक ही नहीं हैं। स्थानीय सरकारी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड व एक्सरे की भी सुविधा नहीं है। मशीनें हैं लेकिन उन्हें संचालित करने के लिए कोई कर्मचारी नहीं है। यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों नेताओं ने अपने-अपने फायदे के लिए समुदायों को बांटने की कोशिश की है  लेकिन लोगों में इतनी समझदारी थी कि उन्होंने सद्भाव का चुनाव किया।