हिमाचल प्रदेश में चुनाव का बिगुल बज चुका है। राज्य में 12 नवंबर को चुनाव होंगे और परिणाम 8 दिसंबर 2022 को आएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (5 नवंबर) को हिमाचल प्रदेश के सुंदरपुर और सोलन में अपनी पहली चुनावी सभा की। इस सबके बीच भारतीय जनता पार्टी राज्य में बागियों से परेशान है।

भाजपा द्वारा 11 मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाने के बाद पार्टी को विरोध का सामना करना पड़ा है। इन विधायकों ने पार्टी के विरुद्ध बगावत के सुर अपना लिए हैं, जिससे भाजपा को नियम तोड़ने और बगावत करने वाले नेताओं को को 6 साल के लिए निलंबन की धमकी देने के लिए मजबूर होना पड़ा।

बिलासपुर में भाजपा के बागी मैदान में: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के दो बेटों में से छोटे बेटे 27 वर्षीय हरीश नड्डा ने परिवार के गृह जिले में प्रचार अभियान की शुरुआत की है, जहां पार्टी संभवत राज्य में सबसे बड़े विद्रोह का सामना कर रही है। बिलासपुर जिले के चार निर्वाचन क्षेत्रों में से दो में भाजपा के बागी मैदान में हैं। उनमें से कुछ को नड्डा के अपने आदमी माना जाता है, जिन्होंने पार्टी अध्यक्ष की पद छोड़ने की अपील पर ध्यान देने से इनकार कर दिया। भाजपा के अलावा यहां नड्डा का अपना दबदबा है।

हरीश नड्डा जब कंदरौर में घर-घर जाकर प्रचार करते हैं, उनके साथ भाजपा कार्यकर्ता भारत माता की जय के नारे लगाते हैं और बिलासपुर सदर सीट से पार्टी के उम्मीदवार त्रिलोक जामवाल की जय-जयकार करते हैं।

भाजपा के लिए प्रचार कर रहे हरीश नड्डा: हरीश नड्डा ने लंदन विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई है। वह एक लॉ फर्म के मालिक हैं और ‘यूथ फॉर भारत’ नामक एक संगठन के संस्थापक हैं। प्रचार के दौरान वह हिमाचल प्रदेश भाजपा की एक पुस्तिका लोगों को सौंपते हैं, जिसमें भाजपा और राज्य सरकार की निर्वाचन क्षेत्रवार उपलब्धियां बताई गयी हैं। चलमा गांव में हरीश छात्रों से मिलते हैं और पूछते हैं कि वे क्या पढ़ रहे हैं। वह कोविड महामारी की पहली लहर के दौरान वितरित किए गए 33,000 फूड पैकेट और दूसरी लहर के दौरान 75 लाख रुपये की राहत सामग्री के बारे में भी प्रचार के दौरान बात करते हैं।

हरीश ने बिलासपुर जिले में 500 स्पोर्ट्स किट वितरित करने का भी दावा किया है और ड्रग्स के खिलाफ ‘गहन’ अभियान का नेतृत्व किया है जो बिलासपुर के हर स्कूल, आईटीआई और कॉलेज में लगभग 5,000 युवाओं तक पहुंच गया है।

उम्मीदवारों पर कोई असर नहीं: भाजपा के बागियों के सवाल पर हरीश नड्डा का कहना है, “इससे हमारे उम्मीदवारों पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।” उन्होंने कहा, “कैसे एक विद्रोही के भाई सुभाष शर्मा ने पिछले जिला परिषद चुनावों में निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और शर्मा के समर्थन के बावजूद उन्हें केवल 700 से 800 वोट मिले। उनके पास कोई वोट बैंक नहीं है।”