राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को सबसे बड़ा सियासी झटका लगा है। हिमाचल प्रदेश से सिर्फ एक सीट निकल रही थी, कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन फिर भी बाजी बीजेपी ने मार ली। ये बाजी इसलिए पटली क्योंकि कांग्रेस के 6 और 3 निर्दलीयों ने क्रॉस वोटिंग कर सारे समीकरण बदल दिए। अब खेल पलट गया सभी को पता है, बीजेपी जीत गई, इस बात की घोषणा हो चुकी है, लेकिन जिनकी वजह से ये सबकुछ हुआ, उनके बारे में भी जानना जरूरी है।

जिन 9 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर सारे समीकरण बदले हैं, उनकी प्रोफाइल पर एक नजर डालते हैं-

राजिंदर राणा

राजिंदर राणा एक जमाने में बीजेपी के सबसे बड़े नेता और पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के करीबी माने गए हैं। वे हिमाचल बीजेपी के मीडिया प्रभारी भी रह चुके हैं। लेकिन साल 2012 में उनकी बीजेपी के साथ दूरिया बढ़ गईं और उन्होंने पार्टी छोड़ डाली। फिर निर्दलीय चुनाव लड़े और सुजानपुर से बड़ी जीत दर्ज की। बाद में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। अब कांग्रेस में आकर भी सुजानपुर से राजिंदर जीत दर्ज करते रहे, उनकी शख्सियत मजबूती होती चली गई, लेकिन सुक्खू सरकार बनने के बाद उनका मंत्री ना बनना पार्टी के अंदर एक बगावत को हवा दे गया। इसी बगावत की वजह से क्रॉस वोटिंग हुई और माना जा रहा है कि कई दूसरे विधायकों को भी उन्होंने ही पाला बदलने के लिए मनाया।

सुधीर शर्मा

सुधीर शर्मा भी कांग्रेस के एक बड़े नेता के रूप में जाने जाते हैं, इनकी इच्छा भी मंत्री बनने की थी, सुक्खू के साथ इनकी भी अनबन चल रही थी। बताया जाता है कि 19 साल की उम्र में ही सुधीर शर्मा ने राजनीति में कदम रख दिया था, बाद में 2003 और 2007 में उन्होंने बैजनाथ से चुनाव जीता, इसके बाद 2012 में धर्मशाला से जीत दर्ज की और वीरभद्र सरकार में मंत्री तक बने। लेकिन सुक्खू के साथ उनकी अनबन रही, इस बार तो क्योंकि उन्हें हिमाचल में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए 55 एकड़ जमीन नहीं मिली, वे नाराज बताए जा रहे थे।

इंद्रदत्त लखनपाल

इंद्रदत्त लखनपाल ने भी सीएम सुक्खू के साथ खेल किया है। क्रॉस वोटिंग कर उनकी तरफ से भी बीजेपी प्रत्याशी को जिताया गया है। इंद्रदत्त ने अपने करियर की शुरुआत निगम पार्षद के तौर पर की थी। 2002 में शिमला नगर निगम में भी वे पार्षद बने थे। विधानसभा की राजनीति में उन्होंने पूरा अनुभव रहा और साल 2012 में हमीरपुर से चुनाव जीता, वहीं 2017 में भी बड़ी जीत दर्ज की और साल 2022 के चुनाव में बरसर से जीत दर्ज की।

रवि ठाकुर

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का नाम जब भी आता है, रवि ठाकुर का जिक्र होना जरूरी है। वे पूर्व कांग्रेस विधायक लता ठाकुर के बेटे हैं और कांग्रेस सेवा दल के एक जमाने में चेयरमेन भी रह चुके हैं। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के भी चेयरमेन के रूप में उन्होंने अपनी सेवा दी है। लाहौल स्पीति से साल 2012 में रवि पहली बार विधायक बने थे, दूसरी बार तो उन्होंने बीजेपी के रामलाल मारकंडी को काफी कम अंतरों से हराया था। पिछले कुछ समय पहले तक वे लाहौल स्पीति के लद्दाख के साथ लगने वाली सीमा विवाद को लेकर चर्चा में थे।

चैतन्य शर्मा

चैतन्य शर्मा हिमाचल की राजनीति में युवाओं के बीच में काफी लोकप्रिय माने जाते हैं, रोजगार का मुद्दा तो उन्होंने सड़क से लेकर सदन तक उठा रखा है। साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले ही चैतन्य से कांग्रेस का दामन थामा था। इससे पहले तक जिला परिषद के चुनाव में भी वे जीत दर्ज कर चुके हैं।

देविंदर भुट्टो

पहली बार के विधायक देविंदर भुट्टो कांग्रेस में दो दशक से ज्यादा लंबी पारी खेल चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के विरेंदर कंवर को बड़े अंतर से Kutlehar से हराया था। इससे पहले तक बंगना पंचायत समिति में भी कई पदों पर देविंदर अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

होशियार सिंह

होशियार सिंह एक निर्दलीय विधायक हैं जिन्होंने कांग्रेस के ही डॉक्टर राजेश शर्मा को चुनाव में हराया था। बड़ी बात ये है कि बाद में उन्होंने बाहर से ही सुक्खू सरकार को अपना समर्थन दिया। इससे पहले बीजेपी की जयराम ठाकुर सरकार को भी बतौर निर्दलीय ही उन्होंने समर्थन दे रखा है।

के एल ठाकुर

पिछले विधानसभा चुनाव में के एल ठाकुर ने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा था। बीजेपी ने जब उन्हें टिकट देने से मना कर दिया, वे निर्दलीय मैदान में उतर गए थे। उन्होंने तब कांग्रेस के ही हरदीप सिंह बाजवा को बड़े अंतर से हराया था। इससे पहले तक वे बीजेपी के विधायक के तौर पर सेवाएं दे रहे थे। राजनीति में उन्हें दो दशक से ज्यादा का अनुभव है।

आशीर्ष शर्मा

बीजेपी के करीबी माने जाने वाले आशीर्ष शर्मा ने पिछले विधानसभा चुनाव निर्दलीय लड़ा था। वे बीजेपी के संपर्क में तो थे, लेकिन उन्हें क्योंकि टिकट नहीं मिला, वे बतौर निर्दलीय ही लड़ लिए। बाद में उनकी तरफ से कांग्रेस सरकार को बाहर से समर्थन दिया गया।