मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक रिट यााचिका पर सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) की 29 अगस्त को बुलाई वार्षिक साधारण सभा (एजीएम) में प्रस्तावित चुनावों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इस याचिका में गुहार की गई है कि एमपीसीए के द्विवार्षिक चुनाव सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आरएम लोढ़ा समिति की सिफारिशों के मुताबिक कराए जाएं।

हाई कोर्ट की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने एमपीसीए के वरिष्ठ सदस्य लीलाधर पालीवाल समेत पांच सदस्यों की याचिका पर सभी संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि आसन्न एमपीसीए चुनावों पर फिलहाल रोक लगाना उचित नहीं होगा। लेकिन इस याचिका पर एकल पीठ का अंतिम आदेश एमपीसीए पर बंधनकारी होगा। अदालत ने याचिका पर एमपीसीए से चार हफ्तों में जवाब मांगा है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अजय बागड़िया ने एमपीसीए की ओर से पैरवी करते हुए अदालत को बताया कि एमपीसीए के संविधान के मुताबिक हर साल 31 अगस्त से पहले एजीएम बुलाया जाना अनिवार्य है और 29 अगस्त को प्रस्तावित चुनाव आसन्न एजीएम की ‘अविभाज्य प्रक्रिया’ है।

बागड़िया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ को आदेश दिया है कि वह छह महीने के भीतर लोढ़ा समिति की सिफारिशों को अमली जामा पहनाए। उन्होंने कहा कि इन हालात में जब तक बीसीसीआइ के उचित निर्देशों के मुताबिक एमपीसीए के संविधान में संशोधन नहीं किया जाता, प्रदेश के क्रिकेट संगठन के लिए तय समय पर चुनाव कराना बाध्यकारी है। उधर, पालीवाल और अन्य चार याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील विवेक फड़के ने गुहार की कि अगर एमपीसीए लोढ़ा समिति की सिफारिशों के मुताबिक फिलहाल अपने चुनाव नहीं करा सकता, तो अदालत याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत देते हुए 29 अगस्त को आयोजित एजीएम में प्रस्तावित चुनावों पर रोक लगा दे।

अदालत ने हालांकि अंतरिम राहत की यह गुहार खारिज कर दी जिससे 29 अगस्त को एमपीसीए चुनावों का रास्ता साफ हो गया है। फिलहाल वरिष्ठ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया एमपीसीए के चेयरमैन पद पर आसीन हैं, जबकि आला क्रिकेट प्रशासक संजय जगदाले प्रदेश क्रिकेट संघ के अध्यक्ष हैं।