चंडीगढ़ को लेकर पंजाब और हरियाणा सरकार के बीच तनातनी बढ़ती दिखाई दे रही है। हरियाणा सरकार ने एक प्रस्ताव पास कर चंडीगढ़ पर अपना हक जताया था। इसके पहले, पंजाब विधानसभा में विशेष सत्र बुलाकर चंडीगढ़ पर एक प्रस्ताव पास किया था। पंजाब की तरह, हरियाणा में भी सरकार के साथ विपक्ष खड़ा दिखाई दिया और इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार के संयुक्त राजधानी पर अचानक दावा पेश करने के कदम पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि इस तरह का प्रस्ताव पेश करने से पहले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को इस मामले में सभी पक्षों को विश्वास में लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ को लेकर पंजाब विधानसभा में पास संकल्प मंजूर नहीं है। सीएम खट्टर ने केंद्र सरकार से अपील की है कि चंडीगढ़ को लेकर ऐसा कोई कदम न उठाया जाए जिससे संतुलन बिगड़े। सीएम मनोहर लाल खट्टर ने सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण के मुद्दे को भी उठाया।
पंजाब ने पहले भी चंडीगढ़ को लेकर किया है दावा
ये पहला मौका नहीं है जब पंजाब ने चंडीगढ़ पर अपना दावा पेश किया है। पूर्व में कम से कम सात बार पंजाब विधानसभा में इस तरह के प्रस्ताव पारित किए जा चुके हैं, जिनमें अधिकांश अकाली दल के नेतृत्व वाली सरकार के वक्त के हैं। गृह मंत्रालय द्वारा केंद्रशासित प्रदेश के कर्मचारियों के लिए केंद्रीय सेवा नियमों की घोषणा करने के ताजा कदम ने एक बार फिर यूटी प्रशासन में घटती हिस्सेदारी पर पंजाब की नाराजगी को फिर से बढ़ा दिया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की और कहा कि केंद्रीय सेवा नियम चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर लागू होंगे, इसके तुरंत बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया और केंद्र से चंडीगढ़ को पंजाब स्थानांतरित करने का आग्रह किया। पंजाब विधानसभा में इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद हरियाणा सरकार की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई है।