हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि हरियाणा के 4 संसदीय सचिवों का मामला दिल्ली से इतर है, और इस मामले में दिल्ली जैसी कार्रवाई की मांग करना ठीक नहीं है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ‘दिल्ली और हरियाणा के हालात अलग अलग हैं, हमारे यहां कानून पहले से मौजूद है, लेकिन फिर भी अदालत ने कहा कि यह ठीक नहीं है इसलिए हमने उन्हें संसदीय सचिव के पद से हटा दिया है।’ इस मामले में याचिकाकर्ता एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने कहा कि मुख्य संसदीय सचिव एक असंवैधानिक टर्म है, हाईकोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया था और आदेश जारी किये थे, यदि दिल्ली और हरियाणा भारत के हिस्से हैं तो इनके लिए दो अलग अलग कानून कैसे हो सकते हैं? इन सचिवों को (बीजेपी के विधायक) अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए।बता दें कि जे एस भट्टी हरियाणा के 4 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
There is a difference in situation between Delhi & Haryana. We already have a law in place, but Court said this is not correct so we have removed them (4 BJP Haryana MLAs as Parliamentary secretaries): Haryana CM ML Khattar pic.twitter.com/fTR4dQfGHe
— ANI (@ANI) January 22, 2018
Chief Parliamentary Secretary is an unconstitutional term. HC has taken cognizance of this& issued orders. If Delhi & Haryana are part of India then how come there are two separate laws? The 4 secretaries (BJP Haryana MLAs) will have to be disqualified : JS Bhatti, Petitioner pic.twitter.com/kXuNrdcwgR
— ANI (@ANI) January 22, 2018
बता दें कि दिल्ली की तरह हरियाणा में भी 4 संसदीय सचिवों की नियुक्ति की गई है। इस मामले में दिल्ली के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द होने के बाद हरियाणा में भी बीजेपी के 4 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है। रविवार (21 जनवरी) को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों को आयोग्य घोषित किए जाने की निर्वाचन आयोग की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी के बाद, केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि राष्ट्रपति ने दिल्ली विधानसभा के 20 सदस्यों को दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सरकार अधिनियम (जीएनसीटीडी) के तहत अयोग्य ठहराया है।
निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार (19 जनवरी) को आप के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश की थी। इन सभी पर बतौर संसदीय सचिव लाभ के पद पर आसीन होने के आरोप लगाए गए थे। आयोग ने राष्ट्रपति को अपना सुझाव वकील प्रशांत पटेल की शिकायत पर दिया था। हिंदू लीगल सेल के सदस्य पटेल ने जून 2015 में संसदीय सचिवों की नियुक्ति को अवैध ठहराते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के समक्ष याचिका दाखिल की थी।