हरियाणा सरकार द्वारा राज्य में शिक्षा विभाग में चिराग योजना शुरू की गई है। इस योजना के खिलाफ राज्य के शिक्षक सड़कों पर उतर गये हैं। हरियाणा विद्यालय संघ ने इस योजना का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। अध्यापक संघ के एक नेता ने कहा कि इस योजना के चलते सरकारी स्कूल बंद हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस योजना को वापस नहीं लेती तो हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ बड़ा आंदोलन करेगा।
दरअसल हरियाणा सरकार राज्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए चिराग योजना के तहत आर्थिक मदद देगी। राज्य सरकार दूसरी क्लास से बारहवीं क्लास तक के बच्चों के लिए निजी मान्यता प्राप्त विद्यालयों में पढ़ने के लिए मुख्यमंत्री समान शिक्षा राहत, सहायता एवं अनुदान की स्कीम लेकर आई है।
चिराग योजना: नए शिक्षा सत्र में राज्य सरकार ने नियम-134ए को खत्म कर उसकी जगह पर चिराग योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत एक लाख 80 हजार रुपये से कम सालाना आय वाले परिवारों के जो बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे, उन्हें दूसरी से बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा प्राइवेट स्कूलों में मुफ्त दिलाई जाएगी। सरकार की मंशा है कि कम आय वाले बच्चे भी निजी स्कूलों में मुफ्त में पढ़ाई कर सके।
ऐसे बच्चों की फीस सरकार की तरफ से दी जाएगी। वहीं हरियाणा विद्यालय संघ का आरोप है कि सरकार सरकारी विद्यालयों की जगह निजी विद्यालयों को प्रोत्साहन देना चाहती है।
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के जिला प्रधान महेंद्र सिंह ने विरोध जताते हुए कहा, “सार्वजनिक शिक्षा किसी भी देश के विकास की रीढ़ होती है। लेकिन भाजपा सरकार के अपने चरित्र के विपरीत काम किया है।” वहीं अध्यापक संघ से जुड़े वजीर सिंह ने कहा, “सरकार की चिराग योजना गैर-कानूनी है। सरकार ने पहले से नियम बनाया है कि आठवीं तक मुफ्त शिक्षा देगी, लेकिन अब उसी का उल्लंघन कर रही है।”
वजीर सिंह ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में नई शिक्षा नीति, वास्तव में सरकारी स्कूलों को बर्बाद करने की नीति है। यह रोजगार पर हमले की नीति है। उसमें भाजपा सीधे तौर पर शिक्षा में निजीकरण कर रही है। अगर ये सरकारी स्कूल नहीं रहे और आठवीं तक शिक्षा मुफ्त नहीं रही तो लोग अनपढ़ हो जाएंगे।