पूर्वांचल के बाहुबली नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की है। ये छापेमारी विनय शंकर के लखनऊ, गोरखपुर और मुंबई स्थित गंगोत्री इंटरप्राइजेज के दफ्तरों पर की गई है। 700 करोड़ के बैंक लोन घोटाला मामले में सीबीआई पहले से ही जांच कर रही है। अब उसी मामले में ईडी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में छापेमारी की है। जानकारी के अनुसार ईडी द्वारा विनय शंकर को पहले कई नोटिस दी गई थी। लेकिन वो अपना बयान दर्ज कराने के लिए पेश नहीं हुए थे। जिसके बाद सोमवार सुबह में ही ईडी की टीम में विनय शंकर के कई ठिकानों पर छापेमारी कर दी।
गोरखपुर की चिल्लूपार से विधायक रहे विनय शंकर तिवारी ने बसपा में रहते हुए गंगोत्री इंटरप्राइजेज के नाम पर कई बैंकों से लोन लिया था। जिसके बाद बैंक ऑफ इंडिया के क्लस्टर में लोन देने वाले बैंक ने शिकायत की थी। बैंक की शिकायत पर सीबीआई ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी। अब उसी मामले में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत छापेमारी की है।
2023 में भी ईडी ने की थी छापेमारी
इससे पहले साल 2023 में ईडी ने विनय शंकर तिवारी के गोरखपुर स्थित आवास पर छापेमारी की थी। उस दौरान ईडी ने 72 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्तियों को जब्त किया था। इसके साथ ही लखनऊ ईडी के जोनल ऑफिस ने पूर्व विधायक के गोरखपुर के साथ ही महराजगंज और लखनऊ स्थित आवास पर कुल 27 संपत्तियों को जब्त किया था।
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विनय शंकर पर आरोप है कि उनकी कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेज लिमिटेड ने बैंकों के कंसोर्टियम का 1129.44 करोड़ रुपये हेरफेर किया गया है। बैंक द्वारा इस मामले में विनय शंकर के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराया गया था। ये पूरा मामले साल 2012 से लेकर 2016 के बीच का है। इससे पहले ईडी ने साल 2024 में भी छापेमारी की थी।
कौन थे हरिशंकर तिवारी
एक दौर था जब पूरे पूर्वांचल में विनय शंकर तिवारी के पिता हरिशंकर तिवारी का खौफ था। ऐसा माना जाता है कि हरिशंकर ने बाहुबल के दम पर जेल में रहते हुे 1985 में पहला विधानसभा का चुनाव जीता था। इसके बाद वो 2007 तक चिल्लूपार से विधायक लगातार विधायक रहे। इस दौरान वो प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे।