हरीश रावत सरकार ने उत्तराखंड को सूखा ग्रस्त प्रदेश घोषित किया है। शनिवार को रावत मंत्रिमंडल की हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। उत्तराखंड में पिछले दिनों भारी सूखा पड़ने से जहां जंगलों में भीषण आग लगी थी और जंगल के जंगल जल गए थे। वहीं सूखा पड़ने के कारण किसानों की फसलें चौपट हो गई थी। हरीश रावत मंत्रिमंडल की बैठक में प्रदेश के किसानों को राहत देने के लिए जहां प्रदेश को सूखा ग्रस्त राज्य घोषित किया गया, वहीं किसानों के कल्याण के लिए मुख्यमंत्री ने कई घोषणाएं की। रावत मंत्रिमंडल में बरसाती पानी को संग्रहीत करने वालों को प्रोत्साहन देने के लिए इनाम के तौर पर पांच हजार से एक लाख रुपए तक आर्थिक अनुदान देने की बात कही।
रावत मंत्रिमंडल ने स्टोन क्रेशर वालों को राहत देने के लिए स्टोन क्रेशरों का नवीनीकरण एक साल के बजाय पांच साल तक करने का निर्णय लिया। साथ ही खनन सामग्री की रॉयल्टी आठ रुपए पचास पैसे प्रति कुंतल की बजाय सात रुपए पचास पैसे प्रति कुंतल करने का निर्णय किया। रावत मंत्रिमंडल ने चमोली जिले के देवाल को तहसील बनाने, टिहरी जिले के प्रताप नगर के फिकवाल समुदाय को पिछड़ी जाति में शामिल करने का निर्णय लिया। वहीं प्रदेश कांग्रेस द्वारा आयोजित स्वागत समारोह में कांग्रेस के समर्थित प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चे (पीडीएफ) का कोई भी विधायक नहीं पहुंचा।
पीडीएफ में शामिल तीन निर्दलीय विधायकों, बसपा के दो विधायक व एक उत्तराखंड क्रांति दल के विधायक स्वागत समारोह में शामिल नहीं हुए। वहीं मुख्यमंत्री हरीश रावत उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी इंदिरा ह्रदयेश, यशपाल आर्य, प्रीतम सिंह, सुरेंद्र सिंह नेगी, दिनेश अग्रवाल समेत कांग्रेस के कई विधायक इस समारोह में मौजूद थे। स्वागत समारोह में बोलते हुए रावत ने कहा कि उन्होंने बीते 54 दिन बड़े खौफ के काटे हैं। कांग्रेस और पीडीएफ के सभी विधायकों की एकजुटता के चलते लोकतंत्र बचा और सांप्रदायिक ताकतों की हार हुई।
पीडीएफ कोटे के चार मंत्रियों मंत्री प्रसाद नैथानी, दिनेश धनै और प्रीतम सिंह पंवार, हरिश्चंद्र दुर्गापाल और बसपा के दो विधायक सरबत करीम अंसारी, हरिदास के स्वागत समारोह में न आने पर तरह-तरह की चर्चाएं कांग्रेस भवन में सुनाई दीं। पीडीएफ के विधायकों के समर्थकों का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा उन्हें सही समय पर सूचना नहीं दी गई। वहीं रावत सरकार के मंत्री दिनेश धनै कैबिनेट की बैठक में नहीं आए। धनै के दफ्तर से मिली जानकारी के मुताबिक धनै अपने विधानसभा क्षेत्र टिहरी में व्यस्त होने के कारण देहरादून नहीं आ सके। इसलिए वे कैबिनेट की बैठक में भी शामिल नहीं हो सके।