चुनाव परिणाम ने पूरे प्रदेश की राजनीति का पारा गरमा दिया है। उत्तराखंड राज्य के 22 सालों के साथ में पहली बार भाजपा ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की है, जिसका श्रेय उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मिल रहा है।

उत्तराखंड राज्य बने 22 साल हो गए हैं और इन सालों में तीन बार हरिद्वार के पंचायत के चुनाव हुए। पंचायत चुनाव के इतिहास में भाजपा तीन से ज्यादा सीटों पर कभी जीत दर्ज नहीं कर पाई थी। 2022 के हरिद्वार पंचायत चुनाव में पहली दफा भाजपा 14 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब हुई है। इसी के साथ पंचायत चुनाव में जीते जनप्रतिनिधियों के भाजपा में आने की होड़ लग गई है। भगवानपुर की कांग्रेस विधायक ममता राकेश की क्षेत्र पंचायत में जीती बेटी और उनका बेटा भाजपा में शामिल हो गए हैं।

इनके अलावा चुनाव में जीते 16 जिला पंचायत और 11 क्षेत्र पंचायत सदस्य बसपा, आम आदमी पार्टी और निर्दलीय से नाता तोड़कर भाजपा में शामिल गए। इस तरह जिला पंचायत में भाजपा की संख्या अब 31 हो गई है। 44 सदस्यों वाले जिला पंचायत बोर्ड में भाजपा का स्पष्ट बहुमत हो गया है और बचे बाकी जिला पंचायत सदस्य भी भाजपा में आने को तैयार हैं।

हरिद्वार के जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत सदस्य में जो मुसलिम सदस्य चुन कर आए हैं वे भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। इस तरह हरिद्वार जिला पंचायत चुनाव के बहाने भाजपा अब उत्तराखंड के मुसलमानों में भी अपनी जड़ें जमाने में लगी है। 2005 के जिला पंचायत चुनाव में भाजपा को केवल एक सीट ही मिल पाई थी जबकि बसपा को आठ तथा कांग्रेस को 6 सीटें मिली थीं और अन्य बाकी सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे।

2011 के जिला पंचायत चुनाव में भाजपा को तीन, कांग्रेस को 11 और बसपा को सबसे अधिक 15 सीटें मिली थी। वर्ष 2016 के जिला पंचायत चुनाव में भाजपा को तीन,कांग्रेस को 13 और बसपा को 16 सीटें मिल थी। पहली बार भाजपा जिला पंचायत चुनाव में अपने बलबूते जिला पंचायत बोर्ड का गठन करेगी और अपने बूते अपना अध्यक्ष बनाएगी।

बसपा और कांग्रेस की फूट खुल कर सामने

जिला पंचायत चुनाव के बाद भाजपा और कांग्रेस की फूट खुलकर सामने आ गई है। बसपा की लक्सर विधानसभा क्षेत्र के विधायक मोहम्मद शहजाद ने प्रदेश नेतृत्व पर पंचायत चुनाव हारने का ठीकरा फोड़ा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश बसपा अध्यक्ष ने हरिद्वार जिले से बसपा के दोनों विधायकों को जिला पंचायत में पूछा तक नहीं। वहीं बसपा के टिकट पर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हारी किरन ने आरोप लगाया कि बसपा विधायक शहजाद खुलेआम उनका विरोध कर रहे थे। पार्टी के साथ गद्दारी करने वालों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।

उत्तराखंड कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस करण माहरा ने भाजपा पर पर सरकारी मशीनरी का बेजा इस्तेमाल कर जिला पंचायत चुनाव जीतने का आरोप लगाया है। कांग्रेस में भी जिला पंचायत चुनाव के बाद जबरदस्त फूट पैदा हो गई है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि कांग्रेस के केंद्र प्रभारी देवेंद्र यादव भी हार के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने विधानसभा चुनाव में हार के बाद उत्तराखंड की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और पंचायत चुनाव में वे गायब रहे।

जिला पंचायत चुनाव के टिकट बंटवारे के समय पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस नेता हरीश रावत ने आरोप लगाया था कि टिकट बंटवारे में उन्हें नहीं पूछा गया। दरअसल, हरीश रावत और उनकी बेटी अनुपमा रावत अपने विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को एक भी सीट जिला पंचायत में नहीं दिलवा पाए। हरीश रावत ने तो चुनाव से दूरी बनाए रखी जबकि पूर्व विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिश्वरानंद महाराज ने जिला पंचायत चुनाव में अपने विधानसभा क्षेत्र में सभी सीटें भाजपा को जितवा कर अनुपमा रावत से विधानसभा चुनाव में अपनी हार का बदला ले लिया है।

कांग्रेस-बसपा का सूपड़ा साफ

हरिद्वार ग्रामीण सीट से पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत और उनकी विधायक बेटी अनुपमा रावत कुछ खास नहीं कर पार्इं। विधायक अनुपमा रावत के क्षेत्र से चारों सीटों पर कांग्रेस बुरी तरह हारी है। चुनाव जिताने में पूर्व मुख्यमंत्री हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल निशंक, पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिश्वरानंद और विधायक आदेश चौहान की सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।

भाजपा को सबसे अधिक सीट पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिश्वरानंद के क्षेत्र से मिली। यहां सात सीटों पर भाजपा ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है। उधर, लक्सर में भी तीन सीट जीती हैं, यहां एक सीट से कांग्रेस को जीत मिली है। जबकि विधायक आदेश चौहान के विधानसभा क्षेत्र रानीपुर की दोनों सीटों पर भाजपा ने विजय प्राप्त की है।आगामी लोकसभा के चुनाव को देखते हुए मुसलिम नेताओं का भाजपा में शामिल होना, कांग्रेस व बसपा के इस परंपरागत वोट बैंक में भारी सेंधमारी मानी जा रही है।

जहरीली शराब कांड की आरोपी चुनाव जीती

पंचायत चुनाव के दौरान जहरीली शराब से हुई मौतों के बावजूद आरोपी महिला बबली कड़े संघर्ष के बाद एक वोट से ग्राम प्रधान का चुनाव जीत गर्इं। जब अपनी जीत का प्रमाण पत्र देने के लिए विकासखंड में आई तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तारी किया। वे शराब कांड के बाद फरार चल रही थीं और उसके गैर जमानती वारंट जारी हुए थे।