हैंडसेट वेंडर्स ने सरकार को चेतावनी दी है कि उसके ऐसे किसी भी कदम से जिसमें विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) में जीरो ड्यूटी रेट पर घरेलू मार्केट में मोबाइल बेचने की अनुमति दी गई तो स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए योजना के तहत प्रस्तावित निवेश में दो अरब डॉलर की राशि खतरे में आ जाएगी। यह सीधे तौर पर केंद्र सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ योजना को बड़ा झटका होगा। इंडियन सेल्युलर इलेक्ट्रॉनिक एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रो ने बताया कि ऐसा कदम ‘बिना किसी महत्वपूर्ण मूल्य के’ होगा और चरणबद्ध तरीके से विनिर्माण योजना में स्थापित 268 फैक्ट्रियो को भी खत्म कर देगा। महिंद्रो के मुताबिक पांच हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि पहले ही इन यूनिटों में निवेश की जा चुकी है। वीवी, ओपो, सैमसंग, Wistron को PMP के तहत निवेश की मंजूरी मिली थी।
इन कंपनियों को देश में निवेश के लिए PMP के तहत पहले ही आवश्यक मंजूरी मिल चुकी है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। यूएस इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता फ्लेक्स, जो मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर रिलायंस जियो से बातचीत कर रही है, टैक्स लाभ के लिए SEZ यूनिट के करीब चेन्नई में हैंडसेट बनाना चाहती है। इन्हीं हैंडसेट को घरेलू मार्केट में बेचने की योजना है।
मोहिंद्रो के मुताबिक इन्हें SEZ से सप्ताई में कोई छूट दी गई तो घरेलू मार्केट में तत्काल संकट पैदा होने के परिणाम सामने आ सकते हैं। विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने और भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए SEZ स्थापित किया गया था। SEZ आयात नीति के अनुसार और लागू कर्तव्यों के भुगतान के अनुसार घरेलू बाजार में माल और सेवाओं को बेच सकती हैं। मोहिंद्रो कहते हैं कि FTA और SEZ अलग उद्देश्यों के साथ दो अलग-अलग प्रणालियों हैं और उन्हें मिश्रित नहीं किया जाना चाहिए।